वह एक अबला नारी बेचारी
सुबह से उठ कर करती काम
रखती सभी के सुखों का ध्यान
बहुत सुखों में रहती थी
वो माता पिता के आंगन में
शादी होते किस्मत पलटी
जिंदगी उलझी कांटों में
न कोई कमी थी घर में
न किसी का था व्यवहार बुरा
पर जिस संग डोर बंधी जीवन की
वह इंसान था खूंखार बड़ा
बात बात पर मारा पीटी
बात बात पर चिल्लाना
फिर भी सब चुप सहती
पर मुख से कुछ नहीं कहती
परिवार और बच्चों के प्रेम
प्रीत से दिन उसके गुजर रहे
सब अपने स्नेह बंधन से
जख्म थे उसके भर रहे
बीत रहे दिन और साल
बच्चे भी बड़े हो गए
लगा सुकुन का समय आया
पर प्रभू तो लीला रच रहे
हुई बड़ी गंभीर बीमारी
फिर कष्टों में आ घिरी
पर इस हालत में भी
पति से प्रीत न मिली
समझ गई प्रभू का फैसला
शायद उनको यही मंजूर है
उसकी किस्मत से सच में
सुख कोसों दूर है
***अनुराधा चौहान***
इस रचना में एक आंखों देखी घटना को व्यक्त करने की छोटी सी कोशिश की है मैंने कि ऐसे भी लोग होते हैं इस दुनिया में ✍
सुबह से उठ कर करती काम
रखती सभी के सुखों का ध्यान
बहुत सुखों में रहती थी
वो माता पिता के आंगन में
शादी होते किस्मत पलटी
जिंदगी उलझी कांटों में
न कोई कमी थी घर में
न किसी का था व्यवहार बुरा
पर जिस संग डोर बंधी जीवन की
वह इंसान था खूंखार बड़ा
बात बात पर मारा पीटी
बात बात पर चिल्लाना
फिर भी सब चुप सहती
पर मुख से कुछ नहीं कहती
परिवार और बच्चों के प्रेम
प्रीत से दिन उसके गुजर रहे
सब अपने स्नेह बंधन से
जख्म थे उसके भर रहे
बीत रहे दिन और साल
बच्चे भी बड़े हो गए
लगा सुकुन का समय आया
पर प्रभू तो लीला रच रहे
हुई बड़ी गंभीर बीमारी
फिर कष्टों में आ घिरी
पर इस हालत में भी
पति से प्रीत न मिली
समझ गई प्रभू का फैसला
शायद उनको यही मंजूर है
उसकी किस्मत से सच में
सुख कोसों दूर है
***अनुराधा चौहान***
इस रचना में एक आंखों देखी घटना को व्यक्त करने की छोटी सी कोशिश की है मैंने कि ऐसे भी लोग होते हैं इस दुनिया में ✍
मर्मस्पर्शी रचना नारी अंत मे सब कुछ नियति मान हर चीज सहती जाती है अंतिम अभियान तक ।
ReplyDeleteसत्य कहा धन्यवाद कुसुम जी
Deleteबड़ी दुख भरी और सत्य को प्रदर्शित करती कविता
ReplyDeleteइस रचना में एक आंखों देखी घटना को व्यक्त करने की छोटी सी कोशिश की है मैंने
Deleteबड़ी दुख भरी और सत्य को प्रदर्शित करती कविता
ReplyDeleteआप के रचना की गहराई ही उसकी ख़ूबसूरती है।
ReplyDeleteखूबसूरत रचना।
धन्यवाद नीतू जी
Deleteउफ्फ्फ....इतना दुःख भगवान किसी को न दे....मार्मिक रचना
ReplyDeleteसही कहा आपने रेवा जी सादर आभार
Deleteअच्छी कोशिश.......................वाह ॥
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Delete