Wednesday, July 18, 2018

दर्द भरी दास्तां

वह एक अबला नारी बेचारी
सुबह से उठ कर करती काम
रखती सभी के सुखों का ध्यान
बहुत सुखों में रहती थी
वो माता पिता के आंगन में
शादी होते किस्मत पलटी
जिंदगी उलझी कांटों में
न कोई कमी थी घर में
न किसी का था व्यवहार बुरा
पर जिस संग डोर बंधी जीवन की
वह इंसान था खूंखार बड़ा
बात बात पर मारा पीटी
बात बात पर चिल्लाना
फिर भी सब चुप सहती
पर मुख से कुछ नहीं कहती
परिवार और बच्चों के प्रेम
प्रीत से दिन उसके गुजर रहे
सब अपने स्नेह बंधन से
जख्म थे उसके भर रहे
बीत रहे दिन और साल
बच्चे भी बड़े हो गए
लगा सुकुन का समय आया
पर प्रभू तो लीला रच रहे
हुई बड़ी गंभीर बीमारी
फिर कष्टों में आ घिरी
पर इस हालत में भी
पति से प्रीत न मिली
समझ गई प्रभू का फैसला
शायद उनको यही मंजूर है
उसकी किस्मत से सच में
सुख कोसों दूर है
***अनुराधा चौहान***

इस रचना में एक आंखों देखी घटना को व्यक्त करने की छोटी सी कोशिश की है मैंने कि ऐसे भी लोग होते हैं इस दुनिया में ✍

11 comments:

  1. मर्मस्पर्शी रचना नारी अंत मे सब कुछ नियति मान हर चीज सहती जाती है अंतिम अभियान तक ।

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    1. सत्य कहा धन्यवाद कुसुम जी

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  2. बड़ी दुख भरी और सत्य को प्रदर्शित करती कविता

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    1. इस रचना में एक आंखों देखी घटना को व्यक्त करने की छोटी सी कोशिश की है मैंने

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  3. बड़ी दुख भरी और सत्य को प्रदर्शित करती कविता

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  4. आप के रचना की गहराई ही उसकी ख़ूबसूरती है।
    खूबसूरत रचना।

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  5. उफ्फ्फ....इतना दुःख भगवान किसी को न दे....मार्मिक रचना

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    1. सही कहा आपने रेवा जी सादर आभार

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  6. अच्छी कोशिश.......................वाह ॥

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