उम्र ढलती है ढलती रहे ग़म नहीं
तेरी चाहतों में जिक्र मेरा हरपल रहे
तेरे रूमानियत पर फ़िदा मैं रहा
प्यार मेरा कभी भी कम न हुआ
तेरी आंखों की मस्ती में डूबा सदा
तू सलामत रहे बस यही है दुआ
उम्र कोे रख परे बैठ पहलू में मेरे
बीते लम्हों की यादों में जीतें हैं फिर
थोड़ा तू कुछ कहे कुछ मैं भी कहूं
थोड़ा रूमानी होकर जी लें यह पल
खुशबुओं सी बिखरती यह शामें रहें
मैं तेरे दिल में रहूं तू मेरे दिल में रहे
शाख पे जो खिले फूल छोड़ चले गए हमें
हम जहां से चले थे फिर आ गए वहां
अब सुख-दुख में एक-दूजे के साथी हैं हम
जिंदगी रोकर नहीं हंस कर काटेंगे हम
पुरानी यादों में फिर से खो जातें हैं
आज थोड़ा रूमानी होकर जी जातें हैं
***अनुराधा चौहान***
तेरी चाहतों में जिक्र मेरा हरपल रहे
तेरे रूमानियत पर फ़िदा मैं रहा
प्यार मेरा कभी भी कम न हुआ
तेरी आंखों की मस्ती में डूबा सदा
तू सलामत रहे बस यही है दुआ
उम्र कोे रख परे बैठ पहलू में मेरे
बीते लम्हों की यादों में जीतें हैं फिर
थोड़ा तू कुछ कहे कुछ मैं भी कहूं
थोड़ा रूमानी होकर जी लें यह पल
खुशबुओं सी बिखरती यह शामें रहें
मैं तेरे दिल में रहूं तू मेरे दिल में रहे
शाख पे जो खिले फूल छोड़ चले गए हमें
हम जहां से चले थे फिर आ गए वहां
अब सुख-दुख में एक-दूजे के साथी हैं हम
जिंदगी रोकर नहीं हंस कर काटेंगे हम
पुरानी यादों में फिर से खो जातें हैं
आज थोड़ा रूमानी होकर जी जातें हैं
***अनुराधा चौहान***
आह़ा !!!!!! उम्र की सीमाएं भूलती इस रुमानियत के क्या कहने !!!!!यदि ये बरकरार रहे तो जीवन दूभर कभी ना हो |---
ReplyDeleteयह शामें रहें
मैं तेरे दिल में रहूं
तू मेरे दिल में रहे
शाख पे जो खिले फूल
छोड़ चले गए हमें
हम जहां से चले थे
फिर आ गए वहां
अब सुख-दुख में
एक-दूजे के साथी हैं हम!!
जीवन के मधुर लम्हों की जीने की मधुर कामना से भरी और शाश्वत अनुराग से लबरेज इस गरिमापूर्ण रचना के लिए आपकी मुक्त कंठ से प्रशंसा करती हूँ प्रिय अनुराधा बहन | मुझे तो बहुत ही प्यारी लगी ये रचना और चित्र भी कमाल का संलग्न है जो रचना के भावों को परिभाषित करने में सक्षम है | मेरी ढेरों शुभकामनायें और बधाई सखी |
आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार रेनू जी
Deleteतेरे रूमानियत
ReplyDeleteपर फ़िदा मैं रहा
प्यार मेरा कभी भी
कम न हुआ
तेरी आंखों की
मस्ती में डूबा सदा
तू सलामत रहे
बस यही है दुआ
उम्र कोे रख परे
बैठ पहलू में मेरे
वाह !!!
लाजवाब रुमानियत....
बहुत बहुत धन्यवाद सुधा जी
Deleteवाह बहुत सुंदर सखी जीवन का सारा सत्व रख दिया आपने ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
जीवन का संध्या काल भी जीवन साथी के स्नेह से जीवंत हो उठता है ।
बहुत बहुत आभार सखी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
Deleteबहुत सुंदर ! उम्र के इसी पड़ाव पर तो एक दूजे के साथ की अहमियत पता चलती है। यही वास्तविक रूमानियत है।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
DeleteThanks Natasha ji
ReplyDeleteअनुराधा जी आपकी इस बहुत सुंदर रचना पर समय पर नज़र न पड़ी इसलिए हमक़दम में शामिल न कर सके...माफी चाहते हैं।
ReplyDeleteअरे माफी की कोई बात नहीं श्वेता जी हो जाता है इतनी रचनाएं पोस्ट होती रहती हैं।आपको रचना पसंद आई यही बहुत है।मेरे लिए बहुत बहुत आभार आपका
Deleteबहुत ही सुंदर कविता
ReplyDelete👌👌👌👌
बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर शब्द सुरुचि रचना जो उम्र के हर दौर को समेटे हुए ..
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार पम्मी जी
DeleteThanks
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