मनभावन और प्यारा
दीपावली का त्यौहार आया
घर घर होती साफ-सफाई
माँ,दादी बनाती मिठाई
बन रही चकली,मठरी
बनते गुझिया और फरसाण
द्वार खड़ा झांके है मुन्नू
गुड़िया माँ से लाड़ लगाए
देख के इनकी बाल शरारत
दादी,बुआ मंद-मंद मुस्काए
करते मनुहार बाल सलोने
हमको मिठाई खाने को देदो
फिर न हम तुमको सताएं
फुलझड़ी पटाखे जो पापा ने दिलाए
द्वार पर जाकर फिर हम चलाएं
द्वार पर जाकर फिर हम चलाएं
दीपावली का त्यौहार अनूठा
जगमग करता कोना कोना
चलो सब मिलकर दीप जलाएं
अपने घर आंगन को दीपों से सजाएं
करें हम माँ लक्ष्मी की पूजा
सबके जीवन से हो दूर अंधेरा
हो जग में ऐसा उजियारा
हो जग में ऐसा उजियारा
***अनुराधा चौहान***
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 04/11/2018 की बुलेटिन, " दादा जी, फेसबुक और मंदाकिनी “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteधन्यवाद शिवम् जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए
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