Wednesday, December 19, 2018

रंग बदलती दुनियां



रंग बदलती 
दुनियां में
हर चीज 
बदलते देखी है
चेहरे पर 
मुस्कान लपेटे
इंसान बदलते
देखें हैं
कांँच से है 
रिश्ते आज़ के
कब टूट जाएंँ 
किसी बात पर
कदम फूंँक-फूंँक 
कर रखना
फिर भी दिलों में 
कांँटों से चुभना
गिरगिट खुद
शर्मिंदा होता
जब इंसानों को रंग
बदलते देखता
सोचता हम तो 
बेकार ही बदनाम है
रंग बदलने में तो
माहिर इंसान है
मुस्कान के पीछे 
छुपे चेहरे में
न जाने कितने 
राज गहरे हैं
कहीं दर्द छिपा 
रखें हैं तो
कहीं बेवफाई 
के मुखोटे हैं
***अनुराधा चौहान***

18 comments:

  1. सुंदर प्रस्तुति

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  2. गिरगिट भी इंसानो को रंग बदलते देख शर्मिंदा है ,बहुत खूब.... अच्छी रचना स्नेह सखी

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  3. बहुत बढ़िया रचना

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  4. लाजवाब
    बहुत सुंदर

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  5. बहुत बहुत आभार पम्मी जी

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  6. रंग बदलने में तो
    माहिर इंसान है
    मुस्कान के पीछे
    छुपे चेहरे में
    न जाने कितने
    राज गहरे हैं
    कहीं दर्द छिपा
    रखें हैं तो
    कहीं बेवफाई
    के मुखोटे हैं
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अनुराधा दी।

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    1. बहुत बहुत आभार ज्योती जी

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  7. बहुत सुंदर,गहरी और सार्थक रचना अनुराधा जी।

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  8. बहुत ही सुंदर सखी सच को आइना दिखाती सार्थक रचना।

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  9. सटीक प्रस्तुति...
    बहुत लाजवाब।

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