Monday, January 7, 2019

दिल मचल उठा

दिल मचल उठा
रात ने अंगड़ाई ली
बर्फीली हवाओं में
तेरी यादों ने आवाज़ दी

जम गए थे कहीं
दिल के जो जज़्बात थे
फिर उमड़ कर छा रही
प्यार की बदली कहीं

एक सुखद एहसास
जिस्म का पोर-पोर भिगो रहा
आ रहे हो लौटकर तुम
मन मयूर नाच रहा 

बहुत लंबी थी इस बार
इंतजार की यह घड़ियां
फिर कोई चुरा न ले तुम्हें
आ बांध लें हम हथकड़ियां

इस बार न जाने दूंगी
तुमको मैं नजरों से दूर
पलकों में बसाकर तुम्हें
बना लूंगी अपनी आंखों का नूर
***अनुराधा चौहान***

18 comments:

  1. क्या बात है प्रिय अनुराधा जी !!!!!! किसी के आने की उन घड़ियों के उत्साह की कितनी सजीवता से शब्दांकित किया है आपने | सस्नेह बधाई सखी इस सुखद श्रृंगार रचना के लिए |

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    1. बहुत बहुत आभार प्रिय रेणु जी

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  2. बहुत लंबी थी इस बार
    इंतजार की यह घड़ियां
    फिर कोई चुरा न ले तुम्हें
    आ बांध लें हम हथकड़ियां
    बहुत खूब ..अलग अंदाज़ दिखा आपके लिखे का इस में ....बहुत बढ़िया

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद पम्मी जी

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  4. इस बार न जाने दूंगी
    तुमको मैं नजरों से दूर
    पलकों में बसाकर तुम्हें
    बना लूंगी अपनी आंखों का नूर....वाह सखी बेहतरीन 👌

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  5. इस बार न जाने दूंगी
    तुमको मैं नजरों से दूर
    पलकों में बसाकर तुम्हें
    बना लूंगी अपनी आंखों का नूर

    हर किसी यही तो ख्वाहिश होती है,बहुत सुंदर ।

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  6. इंतज़ार.... और मिलन.... की बेसब्री का अच्छा तना बना ,सुंदर रचना...

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  7. अति सुंदर रचना।

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  8. देश रक्षा के लिए जो जाते हैं उन्हें कोई रोक नहीं पाता मोहब्बत और देशभक्ति हमेशा उनके दिल में रहती है दूरियां कहाँ महसूस करते हैं वो....घर पर इन्तजार करती प्रिय पत्नी के तथाकथित भावों को बहुत ही चतुराई से बदल देते हैं ये फौजी...
    फिर वह विरहाग्नि के डाह में सुख लेती है वह भी.....
    बहुत ही लाजवाब रचना है आपकी अनुराधा जी
    पर रचना के साथ चित्र यही दर्शाता है कि नायिका किसी देशभक्त की प्रेयसी है.....
    लाजवाब भावों से सजी उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...

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    1. बहुत बहुत आभार सुधा जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

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  9. भावनाओं का सुंदर चित्रांकन करती रचना । मुझे अच्छी लगी ।

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