दिल मचल उठा
रात ने अंगड़ाई ली
बर्फीली हवाओं में
तेरी यादों ने आवाज़ दी
जम गए थे कहीं
दिल के जो जज़्बात थे
फिर उमड़ कर छा रही
प्यार की बदली कहीं
एक सुखद एहसास
जिस्म का पोर-पोर भिगो रहा
आ रहे हो लौटकर तुम
मन मयूर नाच रहा
बहुत लंबी थी इस बार
इंतजार की यह घड़ियां
फिर कोई चुरा न ले तुम्हें
आ बांध लें हम हथकड़ियां
इस बार न जाने दूंगी
तुमको मैं नजरों से दूर
पलकों में बसाकर तुम्हें
बना लूंगी अपनी आंखों का नूर
***अनुराधा चौहान***
क्या बात है प्रिय अनुराधा जी !!!!!! किसी के आने की उन घड़ियों के उत्साह की कितनी सजीवता से शब्दांकित किया है आपने | सस्नेह बधाई सखी इस सुखद श्रृंगार रचना के लिए |
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार प्रिय रेणु जी
Deleteधन्यवाद दी
ReplyDeleteबहुत लंबी थी इस बार
ReplyDeleteइंतजार की यह घड़ियां
फिर कोई चुरा न ले तुम्हें
आ बांध लें हम हथकड़ियां
बहुत खूब ..अलग अंदाज़ दिखा आपके लिखे का इस में ....बहुत बढ़िया
बेहद आभार आदरणीय
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद पम्मी जी
ReplyDeleteइस बार न जाने दूंगी
ReplyDeleteतुमको मैं नजरों से दूर
पलकों में बसाकर तुम्हें
बना लूंगी अपनी आंखों का नूर....वाह सखी बेहतरीन 👌
बहुत बहुत आभार सखी
Deleteइस बार न जाने दूंगी
ReplyDeleteतुमको मैं नजरों से दूर
पलकों में बसाकर तुम्हें
बना लूंगी अपनी आंखों का नूर
हर किसी यही तो ख्वाहिश होती है,बहुत सुंदर ।
बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteइंतज़ार.... और मिलन.... की बेसब्री का अच्छा तना बना ,सुंदर रचना...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर
ReplyDeleteअति सुंदर रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीया
Deleteदेश रक्षा के लिए जो जाते हैं उन्हें कोई रोक नहीं पाता मोहब्बत और देशभक्ति हमेशा उनके दिल में रहती है दूरियां कहाँ महसूस करते हैं वो....घर पर इन्तजार करती प्रिय पत्नी के तथाकथित भावों को बहुत ही चतुराई से बदल देते हैं ये फौजी...
ReplyDeleteफिर वह विरहाग्नि के डाह में सुख लेती है वह भी.....
बहुत ही लाजवाब रचना है आपकी अनुराधा जी
पर रचना के साथ चित्र यही दर्शाता है कि नायिका किसी देशभक्त की प्रेयसी है.....
लाजवाब भावों से सजी उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...
बहुत बहुत आभार सुधा जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
Deleteभावनाओं का सुंदर चित्रांकन करती रचना । मुझे अच्छी लगी ।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
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