रंगा हुआ तेरी प्रीत के रंग
तू मेरा फागुन तुझसे ही बसंत
महकाया तूने जीवन मेरा
बस में नहीं दिल यह मेरा
तेरे काले-कजरारे नयना
तू मेरा फागुन तुझसे ही बसंत
महकाया तूने जीवन मेरा
बस में नहीं दिल यह मेरा
तेरे काले-कजरारे नयना
मुझ पर कर गए जादू
खोया तेरे ही ख्यालों में
सुध-बुध अपनी मैं खोकर
तेरी पायल की छम-छम
बजती हो कहीं पर सरगम
तेरी चूड़ियों की खनक से
संगीत बना मेरा यह जीवन
मोहिनी सूरत भोली-भाली
बातें तेरी बड़ी जग से निराली
मुझ पर चलाए अपना जादू
अब नहीं रहा मन पर काबू
तन्हाइयों में घिरा था मैं उदास
अकेला था मैं कोई नहीं पास
खुशियों को गया था मैं भूल
तन्हा था तन्हा जीने को मजबूर
पतझड़-सा था मेरा जीवन
तुम आई ज़िंदगी में बहार बनकर
अब जीवन का हर दिन बसंत है
छाए खुशियों के सतरंगी रंग है
खिल गई सपनों की क्यारी
दुनिया लगे बड़ी ही प्यारी
सदियों का यह मिलन लगे
जब से तेरे सुर मेरे गीत बने
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
चित्र गूगल से साभार
पतझड़-सा था मेरा जीवन
ReplyDeleteतुम आई ज़िंदगी में बहार बनकर
अब जीवन का हर दिन बसंत है
छाए खुशियों के सतरंगी रंग है
वाह!!!!
बहुत ही लाजवाब भावपूर्ण रचना...
खिल गई सपनों की क्यारी
ReplyDeleteदुनिया लगे बड़ी ही प्यारी
सदियों का यह मिलन लगे
जब से तेरे सुर मेरे गीत बने...बहुत ख़ूब सखी
सहृदय आभार सखी
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार ज्योती जी
Deleteवाह !!बहुत खूब ...
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteखिल गई सपनों की क्यारी
ReplyDeleteदुनिया लगे बड़ी ही प्यारी
सदियों का यह मिलन लगे
जब से तेरे सुर मेरे गीत बने।
बहुत सुंदर सखी समर्पित भावों का सुंदर संगम।।
सहृदय आभार सखी
Deleteसदियों का यह मिलन लगे
ReplyDeleteजब से तेरे सुर मेरे गीत बने...बहुत ख़ूब
धन्यवाद आदरणीय
Delete