Saturday, March 2, 2019

शिव विवाह

चले भोले भंडारी
विवाह रचाने
तन पर भस्म लपेटे
सिर पर जटाएं बांधे
सर्पों की पहनें
गले में मालाएं
रूप अनोखा है
भोले बाबा का
चोड़ा है ललाट
कमर में
पहनें मृगछाल
कर बैल पर सवारी
आए भोले भंडारी
बलशाली काया
बाबा त्रिनेत्र वाला
देख रूप उनका
मूर्छित होती माता
कोमल सुकुमारी
कन्या मेरी गौरी
कैसे जोगी से
विवाह रचाने चली
औघड़ दानी है यह
जटा जूट धारी यह
भूत प्रेत
जिसके हों संगी साथी
बिच्छु,सर्प,बैल
चलत शोर करें
अज़ीब बाराती लेकर
साथ में नाचें
डम-डम-डम
डमरू बाजे
डरे देख जन सारे
यह वर है कैसा
जिसका तो है
रूप भयंकर
समझ नहीं पाए
लीला यह कोई
यह देवों के देव
हैं शिवशंकर
भयभीत नयन
देख मुस्काए
बदला महादेव ने
रूप अनूपम
छवि आलौकिक
देख कर सारे
हो रहे अभिभूत
महादेव के
विवाह के कराने
विधि ने रचा विधान
सोलह श्रृंँगार
कर आई पार्वती
मंत्र-मुग्ध सब देखें
मात छवि मोहनी
शुरू हुई शिव-शक्ति की
विवाह की विधि
देवगण पुष्प
बरसाते प्रसन्नचित
सृष्टि का कण-कण
हुआ हर्षित
सम्पूर्ण हुईं
विवाह की विधि
शिव की बनी
गौरी अर्द्धांगिनी
***अनुराधा चौहान***

9 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 03/03/2019 की बुलेटिन, " अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता? “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. देवों के देव महादेव की भक्ति मे रंगी खूबसूरत रचना ।

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  3. महादेव की भक्ति मे रंगी रचना

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