तू अगर इजाज़त दे तो...
बीती यादों की गठरी खोल
चुन-चुनकर हसीं लम्हे उठा लूँ
कुछ को दिल से लगाकर
कुछ को आँखों में सजा लूँ
तू अगर इजाज़त दे तो...
बीती यादों की गठरी खोल
कभी गाए थे हमने गीत
उन गीतों से सरगम चुराकर
उनमें प्रीत के अहसास भरकर
प्यार का एक नया गीत बना लूँ
तू अगर इजाज़त दे तो...
बीती यादों की गठरी खोल
कुछ अधूरे पड़े ख्व़ाब
कुछ दबी हुई ख्वाहिशें
चलो आज कुछ ख्व़ाहिशें पूरी कर
तेरा दामन को खुशियों से भर दूँ
तू अगर इजाज़त दे तो...
बीती यादों की गठरी खोल
सारे गिले-शिकवे निकालकर
फेंक देते हैं कहीं दूर बहुत दूर
सृजन करते हैं एक नए प्रेम का
जिससे दुःख रहे हमेशा दूर
तू अगर इजाज़त दे तो...
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
चलो आज कुछ ख्व़ाहिशें पूरी कर
ReplyDeleteतेरा दामन को खुशियों से भर दूँ .....,
वाह !! बहुत प्यारी रचना ।
धन्यवाद मीना जी
Deleteमनभावन रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार पम्मी जी
Deleteतेरा दामन को खुशियों से भर दूँ .....,
ReplyDeleteवाह !! बहुत प्यारी रचना तभी तो मन कहता है ...."कुछ बात तो है"
सहृदय आभार संजय जी
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