Thursday, April 25, 2019

अकेलेपन की वेदना

सूखी टहनियों को लिए खड़ा
कड़ी धूप में तन्हा पेड़
अकेलेपन की वेदना सहता
ना राही ना पंछी बस राह है देखता
यादों में खोया सोचता यही है
कोई बैठे पास तो 
मैं छाँव भी न दे सकूँ 
पतझड़ के मौसम में 
किसी काम का नहीं हूँ
राह देखता हूँ यह बहार 
कब लौटकर आएगी
पंछियों के शोर से मुझे गुदगुदाएगी
हरी-भरी डालियों के पंखे झुलाएगी
बैठेंगे मेरी छाँव में दीवाने प्यार के
तन्हाईयाँ दूर हों आए दिन बहार के
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
  

22 comments:

  1. तन्हा पेड़ की वेदना बखूबी बयान की आपने अनुराधा जी. सादर 🙏

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  2. मार्मिक
    खूबसूरत रचना
    🙏🙏🙏

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 25/04/2019 की बुलेटिन, " पप्पू इन संस्कृत क्लास - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. खूबसूरत रचना
    बहुत व्यस्त था ! बहुत मिस किया ब्लोगिंग को ! बहुत जल्द सक्रिय हो जाऊंगा !

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    1. जी आपका स्वागत है बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (27-04-2019) "परिवार का महत्व" (चर्चा अंक-3318) को पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है

    --अनीता सैनी

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  6. बेहद सुन्दर और हृदयस्पर्शी रचना अनुराधा जी ।

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २९ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. हार्दिक आभार श्वेता जी

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  8. आपकी दोनों रचनाएँ पढ़ीं। यह रचना पहले वाली रचना से भी सुंदर है।

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  9. बहुत सुंदर ¡¡
    पत्र विहीन पेड़ की वेदना का हृदय स्पर्शी चित्रण।
    बहुत सुंदर रचना।

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    1. बहुत बहुत आभार पम्मी जी

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद दी

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  12. बहुत सुंदर रचना
    कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें
    शब्दों को मुस्कराहट पर आज
    Recent Post शब्दों की मुस्कराहट परकुछ मेरी कलम से अनीता सैनी, रेणु, अनुराधा चौहान :)

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    1. जी अवश्य बहुत-बहुत धन्यवाद संजय जी

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