ढह गया अरमानों का घर
अब फड़फड़ाने से क्या फ़ायदा
घर के चिरागों ने आग लगाई
मिट गई जो इज्जत कमाई
हाल,चाल हाव,भाव
अगर समय से परखते
सही ग़लत की कुछ सीख दे लेते
बेटों के मोह में अँधी थी आँखें
देखते तो भी क्या सीख देते
सीख तो घर से ही सीखे
घर के पुरुषों ने घर की
स्त्री की नहीं की कदर
इंसानियत को ताक पर रखकर
हरदम उनका उत्पीड़न किया
बाहर तिरछी नज़र कर व्यंग्य कसे
ढहना ही था उस घर को एक दिन
संस्कार बिना खोखली थी उसकी नींव
सत्कर्म से भटके हुए थे लोग
इंसानियत को भूलकर
दुष्कर्म का मार्ग पकड़कर
करने लगे ज़िंदगियाँ तबाह
ना किसी की माँ का दर्द समझा
न किसी की बहन, बेटी की पीड़ा
करते रहे माँ की कोख कलंकित
पुरुष होने का दंभ भरते रहे
यह मानसिक रोगियों को
डर-भय नहीं किसी का नशे में चूर
इंसानियत के वेश में हैवानियत के दूत
सरकार हमारी न जाने क्यों बैठी है चुप
होती रहेंगी यूँ ही ज़िंदगियाँ बरबाद
हम लोग बेबस होकर यह सब देखते रहेंगे
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
चित्र गूगल से साभार
दारुण है सखी ।
ReplyDeleteसहृदय आभार सखी
Deleteबहुत ही हृदयस्पर्शी ,सखी !!
ReplyDeleteसरकार की काहिली को ही कब तक हम कोसते रहेंगे. हमको दरिन्दगी को मिटाने के लिए सबसे पहले खुद कमर कसनी पड़ेगी. हमको दरिंदों को खोज कर सिर्फ़ उनको समाज से बहिष्कृत नहीं करना होगा, बल्कि उनके सभी हमदर्दों और उनके सभी शुभचिंतकों को भी समाज से बाहर का रास्ता दिखाना होगा.
ReplyDeleteसही कहा आपने आभार आदरणीय
Deleteदण्ड देने में देरी न हो,तथा सरकार को कोसने से अच्छा
ReplyDeleteअपने बच्चों ऐसी गल्ती के लिए मा बाप आगे बढ़ कर स्वयम सजा दे।
माँ-बाप को तो आगे बढ़कर दण्ड देना ही चाहिए पर सरकार को भी दुष्कर्मी को दण्ड देने के लिए कठोर से कठोर कदम उठाने चाहिए ताकि कोई भी ऐसी घटनाएं को अंजाम देने से पहले एक बार उस दण्ड के बारे में सोच कर काँप उठे।.. बहुत बहुत धन्यवाद दी
Deleteदिल को छूती बहुत ही सुंदर रचना, अनुराधा दी।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योती बहन
Deleteबेहतरीन रचना सखी ,कोई मदद को आगे नहीं आएगा ,हमे खुद की और अपनी बच्चियों की सुरक्षा स्वयं करनी होगी,इंसान के रूप में छिपे भेड़ियों की हर पल परख रखनी होगी ,हर पल सतर्क रहना होगा ,कहते हैं न कि -सतर्कता गयी दुर्घटना हुई। और इन भेड़ियों को सामाजिक रूप से वहिष्कृत करना होगा।
ReplyDeleteसहृदय आभार सखी
Deleteआपने सही लिखा ... घर के अन्दर बेटों को सही शिक्षा जरूरी है ...
ReplyDeleteबेटी का अनादर घर में ही नहीं सहना चाहिए ...
बहुत जलाब रचना है ...
धन्यवाद आदरणीय
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१७ जून २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
हार्दिक आभार श्वेता जी
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