संवाद से कहीं ज्यादा
जहरीला होता है मौन
मन में छुपी कड़वाहट
समझ पाया क्या कौन
गिले-शिकवे दूर हो जाते
संवाद जो दरमियान हो जाते
गलतफहमियों की दीवारें
ख़ामोशियाँ भला कैसे मिटाएँ
मेल-मिलाप प्रेम-संवाद से
रिश्तों की अहमियत बढ़ती
प्यार, तकरार, इकरार से ही
संबंधों की सुंदरता बढ़ती
मन में द्वेष जो रखते छुपाकर
मन ही मन सदा कष्ट हैं पाते
समझ नहीं पाते सच्चाई को
संवाद से जो रहते कतराते
अच्छा-बुरा जो भी है मन में
कहदो कभी न पालो मन में
साफ कहना खुश रहना सीखो
कड़वाहट से बचना सीखो
मन में कपट मुँह पर मीठा
इंसान ने यह गुर इंसान से सीखा
करते रहते भ्रम की दीवारें खड़ी
जब-तक चोट नहीं लगती तगड़ी
समय निकालो बैठो पास
कर लो मन की कुछ बातें ख़ास
अच्छा-बुरा जो भी हो मन में
मैल निकाल दो जो है अंतर्मन में
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
समय निकालो बैठो पास
ReplyDeleteकर लो मन की कुछ बातें ख़ास
अच्छा-बुरा जो भी हो मन में
मैल निकाल दो जो है अंतर्मन में।
सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति।
हृदयतल से आपका हार्दिक आभार सखी
Deleteनमस्कार !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" 16 जुलाई 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सहृदय आभार मीना जी
Deleteमौन कभी कभी इतना लम्बा हो जाता है ... की हाथ भर की दूरी मीलों लम्बी हो जाती है ...
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteवाह!!सुंदर सृजन सखी ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteमन में द्वेष जो रखते छुपाकर
ReplyDeleteमन ही मन सदा कष्ट हैं पाते
समझ नहीं पाते सच्चाई को
संवाद से जो रहते कतराते... बहुत खूब लिखा है अनुराधा जी
हार्दिक आभार अलकनंदा जी
Deleteवाहहहहह अति शानदार
ReplyDeleteहार्दिक आभार दी
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