आई रजनी सुन सजनी क्या सोचे चुप होके
मेघा छाए घिर-घिर आए
चपला चमके शोर मचाए
पुरवा झूम-झूम लहराए
मदहोश बड़ा यह सुंदर समां
झूम उठा है सारा जहां
बूँदें टपकी टिप-टिप टुप-टुप
क्यों बैठी हो इतनी गुप-चुप
कहती बारिश आ झूम ज़रा
बारिश में आकर भीग ज़रा
आई रजनी सुन सजनी क्या सोचे चुप होके
मन का मयूरा नाच उठा
सावन के गीत गाने लगा
रात सुहानी चुप-चुप ढले
आ चल चलें कहीं दूर चलें
क्या सोच रहे व्याकुल नैना
यादों में किसकी भीगे रैना
आई रजनी सुन सजनी क्या सोचे चुप होके
गरज रही सावन की बदली
क्या याद दिलाती पीहर की
दादुर,पपीहे के स्वर को सुन
सुन बूँदों की रुनझुन-रुनझुन
बदली से छुप-छुपकर झाँक रहा
चँदा भी तुझे निहार रहा
छोड़ के पीछे बातें बीती
आ बैठें करें कुछ बातें मीठी
आई रजनी सुन सजनी क्या सोचे चुप होके
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
चित्र गूगल से साभार
बहुत सुंदर सावन के फूहार सी शृंगार रचना ।
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी
Deleteसावन, भावनाएं और फुहार ... सभी ने मिल के रचना को लाजवाब कर दिया है ...
ReplyDeleteगरज रही सावन की बदली
ReplyDeleteयाद दिला रही क्या पीहर की
दादुर,पपीहे के बोलों को सुन
सुन बूँदों की रुनझुन-रुनझुन
बदली से छुप-छुपकर झाँक रहा
चँदा भी तुझे निहार रहा....
वाह !बेहतरीन सृजन प्रिय सखी
सादर
सहृदय आभार सखी
Deleteबहुत सुन्दर अनुराधा जी.
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteवाह
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत रचना
याद रखने लायक रचना ! शुभकामनायें !!
ReplyDeleteवाह!!सखी ,बहुत खूबसूरत रचना !
ReplyDeleteसहृदय आभार सखी
Delete
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना 17 जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
हार्दिक आभार पम्मी जी
Deleteगरज रही सावन की बदली
ReplyDeleteयाद दिला रही क्या पीहर की
दादुर,पपीहे के बोलों को सुन
सुन बूँदों की रुनझुन-रुनझुन
बदली से छुप-छुपकर झाँक रहा
चँदा भी तुझे निहार रहा
छोड़ दें पीछे बातें बीती
आ बैठें करें कुछ बातें मीठी
वाह !!! अनुपम सृजन सखी !
हार्दिक आभार मीना जी
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार ऋतु जी
Deleteबहुत ही लाजवाब मनभावन सृजन...
ReplyDeleteवाह!!!
हार्दिक आभार सखी
Deleteधन्यवाद लोकेश जी
ReplyDelete