Monday, July 15, 2019

यादों में किसकी भीगे रैना

आई रजनी सुन सजनी क्या सोचे चुप होके
मेघा छाए घिर-घिर आए 
चपला चमके शोर मचाए
पुरवा झूम-झूम लहराए
मदहोश बड़ा यह सुंदर समां 
झूम उठा है सारा जहां
बूँदें टपकी टिप-टिप टुप-टुप
क्यों बैठी हो इतनी गुप-चुप
कहती बारिश आ झूम ज़रा
बारिश में आकर भीग ज़रा
आई रजनी सुन सजनी क्या सोचे चुप होके
मन का मयूरा नाच उठा
सावन के गीत गाने लगा
रात सुहानी चुप-चुप ढले
आ चल चलें कहीं दूर चलें
क्या सोच रहे व्याकुल नैना
यादों में किसकी भीगे रैना
आई रजनी सुन सजनी क्या सोचे चुप होके
गरज रही सावन की बदली
क्या याद दिलाती पीहर की
दादुर,पपीहे के स्वर को सुन
सुन बूँदों की रुनझुन-रुनझुन
बदली से छुप-छुपकर झाँक रहा
चँदा भी तुझे निहार रहा
छोड़ के पीछे बातें बीती
आ बैठें करें कुछ बातें मीठी
आई रजनी सुन सजनी क्या सोचे चुप होके
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

20 comments:

  1. बहुत सुंदर सावन के फूहार सी शृंगार रचना ।

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  2. सावन, भावनाएं और फुहार ... सभी ने मिल के रचना को लाजवाब कर दिया है ...

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  3. गरज रही सावन की बदली
    याद दिला रही क्या पीहर की
    दादुर,पपीहे के बोलों को सुन
    सुन बूँदों की रुनझुन-रुनझुन
    बदली से छुप-छुपकर झाँक रहा
    चँदा भी तुझे निहार रहा....
    वाह !बेहतरीन सृजन प्रिय सखी
    सादर

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  4. बहुत सुन्दर अनुराधा जी.

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  5. वाह
    बहुत ही खूबसूरत रचना

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  6. याद रखने लायक रचना ! शुभकामनायें !!

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  7. वाह!!सखी ,बहुत खूबसूरत रचना !

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  8. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना 17 जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. हार्दिक आभार पम्मी जी

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  9. गरज रही सावन की बदली
    याद दिला रही क्या पीहर की
    दादुर,पपीहे के बोलों को सुन
    सुन बूँदों की रुनझुन-रुनझुन
    बदली से छुप-छुपकर झाँक रहा
    चँदा भी तुझे निहार रहा
    छोड़ दें पीछे बातें बीती
    आ बैठें करें कुछ बातें मीठी
    वाह !!! अनुपम सृजन सखी !

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    1. हार्दिक आभार मीना जी

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  10. Replies
    1. हार्दिक आभार ऋतु जी

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  11. बहुत ही लाजवाब मनभावन सृजन...
    वाह!!!

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  12. धन्यवाद लोकेश जी

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