Wednesday, November 20, 2019

कब पलट जाए किस्मत

नशा जवानी का सिर चढ़ता है
घर समाज तब कहांँ दिखता है
मौज-मजे में झूमते हैं फिर लोग
लगा बैठते फिर नशे का रोग

दीन-हीन रहते कदमों के नीचे
चूस-चूस कर लहू उनका पीते
मर जाती है करूणा इनकी
चढ़ी दिमाग पे धन की गर्मी

झूठ की दुनिया लगे मनभावन
सच्चाई का दूर से पांव लागन
तारीफों के पहन सिर पे ताज
छोड़ बैठते हैं सब काम-काज

अनजान बने दुनिया की रीत से
लक्ष्मी टिकती है कर्म पुनीत से
जब-जब होती धर्म की हानी
तब प्रभू रोकते यह मनमानी

मानो न मानो यही सत्य है
धरती ही स्वर्ग और यही नरक है
कब चल जाए प्रभू का लाठी
सोना बन  जाए लकड़ी की काठी

दुनिया की यह कड़वी सच्चाई
हर किसी को समझ नहीं आई
वक़्त रहते भविष्य नहीं देखा
कब मिट जाती भाग्य की रेखा

कल तक ताज सजा देखा था
आज वो शख्स अकेला बैठा था
पलट दिया किस्मत ने पांसा
आज उसी के हाथ दिया कासा

ऊपर वाले के घर में देर सही
पाप की मिलती सजा, अंधेर नहीं
पाप-पुण्य का रख लेखा-जोखा
समय रहते कर काम कुछ चोखा।
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

13 comments:

  1. झूठ की दुनिया लगे मनभावन,
    सच्चाई का दूर से पांव लागन।
    तारीफों के पहन सिर पे ताज,
    छोड़ बैठते हैं सब काम-काज।
    बहुत सही कहा अनुराधा जी । बहुत ही सुन्दर रचना ।

    ReplyDelete
  2. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२३ -११ -२०१९ ) को "बहुत अटपटा मेल"(चर्चा अंक- ३५२८) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर अनुराधा जी !
    लेकिन - अवसरवादिता के इस युग में ऐसी सीख सुनेगा कौन?
    और अगर कोई सुन भी लेगा तो उसे मानेगा कौन?

    ReplyDelete
    Replies
    1. सही बात है आदरणीय, आपका हार्दिक आभार

      Delete
  4. सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  5. हार्दिक आभार अनीता जी

    ReplyDelete
  6. सच्चाई से ओत-प्रोत बहुत सुंदर संकलन।

    ReplyDelete
  7. स्वयं के अंदर झांकने को मजबूर करती यह रचना। बहुत बढ़िया।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार प्रकाश जी

      Delete
  8. वाह!सखी ,सुंदर सीख देती हुई रचना ।

    ReplyDelete