Saturday, December 21, 2019

अनु की कुण्डलियाँ--2

(7)
*बिंदी*
पायल बिंदी है सजी,चली नवेली नार।
आँखों में सपने सजा,ढूँढें राजकुमार।
ढूँढें राजकुमार, मिला न राम के जैसा।
जो भी पकड़े साथ,लगे वो रावण ऐसा।
कहती अनु सुन बात,नहीं कर मन तू घायल।
अपनों के चल साथ,तभी बजती है पायल।
(8)
*डोली*
डोली बैठी नववधू,चली आज ससुराल।
आँखों में कजरा सजा,बेंदा चमके भाल।
बेंदा चमके भाल,कमर में गुच्छा पेटी।
सर पे चूनर लाल,सजी दुलहन सी बेटी।
कहती अनु यह देख,कभी थी चंचल भोली।
चलदी साजन द्वार,सँवरकर बैठी डोली।
(9)
*आँचल*
छोटी सी गुड़िया चली,आँगन वाड़ी आज,
आँचल में माँ के छुपी,करती थी वो राज।
करती थी वो राज,लली छोटी सी गुड़िया।
पढ़ने जाती आज,कभी थी नटखट पुड़िया।
कहती अनु सुन आज,नहीं है बेटी खोटी।
देगी दुख में साथ,अभी है कितनी छोटी।
(10)
*कजरा*
कजरा डाले गूजरी,देखो सजती आज।
आँखों में उसके छुपा,कोई गहरा राज।
कोई गहरा राज,बता दे तू सुकुमारी।
खोले परदे आज,नहीं कोमल बेचारी।
कहती अनु सुन बात,सजा बालों में गजरा।
करती दिल पे राज,लगा आँखों में कजरा।
(11)
*चूड़ी*
चटकी चूड़ी देख के,झुमका भूला साज।
माथे की बेंदी मिटी,बिछुआ रोया आज।
बिछुआ रोया आज,नहीं अब सजन मिलेंगे।
भूली पायल गीत,किसे अब मीत कहेंगे।
कहती अनु यह देख,अधर में साँसे अटकी।
साजन हुए शहीद,विरह में चूड़ी चटकी।
(12)
*झुमका*
झुमका झूमें कान में,बेंदा चमके भाल।
पायल छनके पैर में,कहती दिल का हाल।
कहती दिल का हाल,चलो बागों में झूले।
सावन बरसे आज,सखी कजरी भी भूले।
कहती अनु यह देख,लगाए गोरी ठुमका।
इतराती है नार,सजा कानों में झुमका।
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

11 comments:

  1. वाह वाह, जबरदस्त

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (23-12-2019) को "थोड़ी सी है जिन्दगी" (चर्चा अंक 3558 ) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं…
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव




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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  3. बहुत सुन्दर अनुराधा जी.
    'विरह में चूड़ी चटकी' ने आँखें नम कर दीं.

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  4. बहुत ही सुंदर और मार्मिक सृजन सखी ,सादर नमन

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  5. बहुत सुंदर कुंडलिया

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