Monday, October 15, 2018

तुझे मेरी याद आएगी


मेरी अश्कों के मोती 
बहते हैं बार-बार
तुझ संग प्रीत लगाकर  
मेरे दिल का है बुरा हाल
पुकारता है दिल तुझे
एक बार आकर मिल मुझे
देख ज़नाजा अपने प्यार का
टूट कर बिखरे सपनों का
झूठे वादे और इकरार का
बिखरती हुईं साँसों को 
अब भी है तेरा इंतज़ार
मचल रही है रूह जिस्म से
साथ छोड़ जाने को है बेकरार
बेबसी के बादल अब गहराने लगे
आकर एक बार मुझे तू लगाले गले
जिस्म से रूह अब होती जुदा़
आ बता दे मुझे हुई क्या खता
तू मिला न गिला है मुझे जिंदगी से
दूर होती हूँ अब मैं तेरी जिंदगी से
अश्क भी सूखते जिस्म भी छूटता
अब तुझ से यह नाता यहीं टूटता
प्रीत मेरी थी मेरे साथ ही मिट जाएगी
जान जाने पर तुझे मेरी याद आएगी
***अनुराधा चौहान*** 

9 comments:

  1. इश्क़ के खेल वही जनता है जो इसमें पड़ता है ...
    अच्छी रचना

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    1. धन्यवाद आदरणीय दिगंबर जी

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  2. तौबा इश्क न करना कोई ये हाल बुरा करता है
    अच्छे भले इंसान को मरीज बना देता है।
    वाह उम्दा रचना सखी।

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    1. बहुत बहुत आभार नीतू जी

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  4. प्रीत मेरी थी मेरे साथ ही मिट जाएगी
    जान जाने पर तुझे मेरी याद आएगी

    बहुत खूब
    क्या अंदाज़े बयां हैं

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    1. धन्यवाद आदरणीय जफर जी

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