Sunday, October 28, 2018

वोटों की प्रीत

कुछ वादों की हवा चली
कुछ मुलाकातों की हवा चली
कहीं तानाकशी का दौर है
कहीं झूठी अफवाहों का जोर है

अब बेरोजगारों का आया ध्यान
लगता है पास में है चुनाव
पेट्रोल के दाम कुछ कम हुए
लगता है अब दिन ठीक हुए

अब हर जाति धर्म की चिंता
उनके हितों का उठता मुद्दा
तब तक सबको गले लगाते
जब तक चुनाव निकट नहीं आते

वोटों की यह कैसी माया
यह कोई अभी तक जान न पाया
वोटों के लिए घर-घर जाते
फिर सालों तक नजर नहीं आते

मंहगाई बेरोजगारी इनका मुद्दा
पर ऊपरी मन से करते हैं चिंता
पर असल में यह है वोटों की प्रीत
फिर सब भूल जाते चुनाव बीत
***अनुराधा चौहान*** 

8 comments:

  1. Replies
    1. धन्यवाद दीपशिखा जी

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  2. बहुत बहुत सुंदर आदरणिया अनुजा

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  3. बहुत बहुत आभार यशोदा जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए

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  4. समसामयिक मुद्दों पर सटीक प्रहार...बहुत अच्छी रचना अनुराधा जी।

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  5. वाह!!!
    बहुत सुन्दर...सटीक....

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