Wednesday, December 5, 2018

गूंज उठी मधुर शहनाई

गूंज उठी मधुर शहनाई
सजी चूड़ियां गोरी की कलाई
चल दी गोरी पिया की गली
आंखों में ढेरों सपने लिए
होंठों पर ढेरों नगमे लिए
ओढ़ के प्रीत की चुनरी
मां की लाड़ली दुल्हन बनी
चल दी गोरी पिया की गली
नये रिश्तों में रचने बसने
प्रीत के रंग में खुद को रंगने
शहनाई सा मधुर मिलन हो
ज़ीवन की सुंदर सरगम हो
महक उठी मन की फुलवारी
बाबुल के आंगन की खुशियां चली
चल दी गोरी पिया की गली
जीवन की रीत यह कैसी
छूट गई डगर पीहर की
घड़ी बिछड़ने की अब आई
कानों में चुभने लगी शहनाई
आंखों में ढेरों आंसू लेकर
घर की खुशियां साथ लेकर
भाई-बहन सब पीछे छोड़कर
गूंजती शहनाईयों में
थाम साजन का हाथ चली
चल दी गोरी पिया की गली
***अनुराधा चौहान***

16 comments:

  1. जीवन की रीत यह कैसी
    छूट गई डगर पीहर की
    घड़ी बिछड़ने की अब आई
    कानों में चुभने लगी शहनाई
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अनुराधा दी।

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    1. धन्यवाद रविन्द्र जी

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  3. बहुत सुंदर रचना।

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  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 10 दिसम्बर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी

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  5. बहुत सुन्दर अनिता जी!
    शहनाई की मीठी धुन के बीच मैंने अपनी दोनों बेटियों को विदा किया है. आपने उन लम्हों की यादें ताज़ा करा दीं.

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  6. बहुत सुंदर सखी एक लड़की की विदाई का सांगोपांग वर्णन लुभा गई आपकी शहनाई ।
    सुंदर।

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  7. जीवन की रीत यह कैसी
    छूट गई डगर पीहर की
    घड़ी बिछड़ने की अब आई
    कानों में चुभने लगी शहनाई
    बहुत लाजवाब...

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  8. गूंजती शहनाईयों में
    थाम साजन का हाथ चली
    चल दी गोरी पिया की गली!!
    बहुत ही शीतल स्नेह भरी रचना | शहनाई की ये विदाई की धुन हर बेटी की नियति है उसके भावी जीवन की मधुर शुरुआत | सस्नेह |

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    1. बहुत बहुत आभार रेनू जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

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  9. Ati sunder kavita hamesha ki trah

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