Friday, September 6, 2019

जिंदगी

ज़िंदगी तो वही जीते हैं
जो हर हाल में खुश हैं
रो-रोकर
जिए तो क्या जिए
बस दुःख की माला पहनते रहे
सब सुख
भला किसको मिला
किसी का पेट भरा
तो
कोई भूखा जगा
पहनकर रेशमी जामा
कुछ रोते
खस्ताहाली का दुखड़ा
पैबंद लगे
कपड़ों में मुस्कुराते
गरीब भी देखे हैं
हालात से
करके समझौता
जीवन जीते जी भर के
 प्याज
नमक मिल जाए
खा लेते पेट-भर रोटी
कहीं भोग छप्पन हैं
फिर पेट भूखा है
ओढ़ रखा है जो
दिखावे का सबने
वो आडम्बर झूठा है
इस आडम्बर ने ही
ज़िंदगी से
सुख-चैन है छीना
भरी अलमारियाँ
पोशाकें
अनगिनत कितनी
एक भी शलीके का नहीं
यह ज़िंदगी भर का रोना है
कुछ लोग ऐसे भी हैं
जिन्हें
उतरन भी मिल जाए
वो
चार कपड़ों में खुश हैं
ज़िंदगी तो
 वही जीते हैं 
जो हर हाल में खुश हैं
***अनुराधा चौहान***

चित्र गूगल से साभार

7 comments:


  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (08-09-2019) को " महत्व प्रयास का भी है" (चर्चा अंक- 3452) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ९ सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. हार्दिक आभार श्वेता जी

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  3. जी हार्दिक आभार

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  4. इस कला को सीखना आसान नहीं ... जीवन को हर पल हर लम्हे में जीना ही जीएवन है ...

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    1. जी हार्दिक आभार आदरणीय

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