Saturday, November 2, 2019

एकता की पूँजी

जीवन की यह श्रेष्ठ है कुँजी
प्यार,एकता जिसकी पूँजी 
सद्गुण का मन वास है रहता
ज्ञान रूपी भंडार है बहता

टूट सकें न बंधन ऐसा
प्रेम,एकता पाश के जैसा
खुशियों से वह घर चमकाता
प्रीत सुमन आंगन महकाता

हर वाणी से प्रेम झलकता
सूरज मन में साहस भरता
स्नेह मिले स्वजनों का हरदम
ज्ञान प्रकाश से चमके यह मन

स्त्री के प्रति बदली है प्रीती
संस्कारों से मिलती रीती
सबकी इज्जत,मान व सेवा
सद्कर्मों से मिलता मेवा

एकता ही पहचान हमारी
जिसके झुकी दुनिया सारी
जहाँ खोखली होती एकता
शुरू हो जाती वहाँ विपदा

देश, घर-परिवार को बाँधे
दुष्ट झुके सदा इसके आगे
सुख-समृद्धि इसका है नारा
एकता,विश्वाश, भाईचारा
***अनुराधा चौहान***

चित्र गूगल से साभार

14 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 03 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सुख-समृद्धि इसका है नारा,
    एकता,विश्वाश, भाईचारा
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सखी ,जिस परिवार में एकता हो वह सुख -समृद्धि स्वतः आ ही जाती हैं ,सादर नमस्कार

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  3. स्त्री के प्रति बदली है प्रीती,
    संस्कारों से मिलती रीती।
    सबकी इज्जत,मान व सेवा,
    सद्कर्मों से मिलता मेवा ।।

    सत्य वचन।

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(०४ -११ -२०१९ ) को "जिंदगी इन दिनों, जीवन के अंदर, जीवन के बाहर"(चर्चा अंक
    ३५०९ )
    पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  5. जीवन की यह श्रेष्ठ है कुँजी,
    प्यार,एकता जिसकी पूँजी ।
    सद्गुण का मन वास है रहता,
    ज्ञान रूपी भंडार है बहता।।

    बहुत सुंदर भाव लिए सुंदर रचना सखी ।

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  6. वाह!सखी ,सुंदर ,भावपूर्ण रचना!

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  7. अनुपम भावों का संगम ... बेहतरीन सृजन

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया

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