Friday, November 15, 2019

मौन से संवाद

मौन ही करता रहा
मौन से संवाद
स्वप्न नये गढ़ता रहा
खुद के दरमियान

छूकर गुजरती हवा
राग कुछ छेड़ती
शब्द की खामोशी को‌
छेड़कर तोड़ती
सिमटी बूँद ओस की 
कली से कर बात

मौन ही करता रहा
मौन से संवाद

मन कुछ उदास-सा है
शब्द आज मौन हैं‌
मतलबी जग में कहाँ
किसी का कौन है
सहम-सहम चली हवा
हैं अलग अंदाज

मौन ही करता रहा
मौन से संवाद

ढल रही है साँझ अब
रात काली घनी
यादें बिखर रही हैं
टूटे कड़ी-कड़ी
चीर रहे सन्नाटे को
दर्द भरें यह जज़्बात

मौन ही करता रहा
मौन से संवाद।।

***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

11 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 16 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. बहुत बहुत सार्थक सृजन सखी
    सुंदर भावों का सुंदर चित्रण।

    ReplyDelete
  3. वाह! वाह! अप्रतिम।

    "मौन ही करता रहा,
    मौन से संवाद"

    ReplyDelete
  4. बेहतरीन और लाजवाब सृजन अनुराधा जी । बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार मीना जी

      Delete
  5. मौन से मौन का संवाद कितना कुछ बोलता हुआ ...
    सार्थक रचना ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय

      Delete
  6. चीर रहे सन्नाटे को,
    दर्द भरें यह जज़्बात....सुंदर भावों का सुंदर चित्रण।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय

      Delete