61
पूजा
पूजा मनसे कीजिए,पूजा मन का भाव।
पूजा से मनके सदा,मिटते सभी अभाव।
मिटते सभी अभाव,मिटा जीवन से हर दुख।
पूजा से कल्याण,मिले मनचाहा हर सुख।
कहती अनु सुन बात,पिता सम देव न दूजा।
माता देवी मान,करो तुम निशदिन पूजा
62
दीपक
दीपक सा दमके सदा,जग में तेरा नाम।
करना जीवन में सदा,सुंदर सुंदर काम।
सुंदर-सुंदर काम,बनो तुम सबके रक्षक।
चलना सच की राह, नहीं बन जाना भक्षक।
कहती अनु सुन बात,रखो दिल सुंदर रूपक।
दिल में भरो उजास,जलो तुम बनकर दीपक
पूजा
पूजा मनसे कीजिए,पूजा मन का भाव।
पूजा से मनके सदा,मिटते सभी अभाव।
मिटते सभी अभाव,मिटा जीवन से हर दुख।
पूजा से कल्याण,मिले मनचाहा हर सुख।
कहती अनु सुन बात,पिता सम देव न दूजा।
माता देवी मान,करो तुम निशदिन पूजा
62
दीपक
दीपक सा दमके सदा,जग में तेरा नाम।
करना जीवन में सदा,सुंदर सुंदर काम।
सुंदर-सुंदर काम,बनो तुम सबके रक्षक।
चलना सच की राह, नहीं बन जाना भक्षक।
कहती अनु सुन बात,रखो दिल सुंदर रूपक।
दिल में भरो उजास,जलो तुम बनकर दीपक
63
थाली
थाली में मेवा भरे,फिर भी खाली पेट।
बेटा अनदेखी करे,मात पिता को मेट।
मात पिता को मेट, बना फिरता वो राजा।
ममता सारी भूल,बजा के झूठा बाजा।
कहती अनु यह देख,दिया रिश्तों को गाली।
खाली करली आज,भरी मेवे की थाली।
64
बाती
बाती बनके दीप की,देना साजन संग।
बेटी से माता कहे,जीवन के यह रंग।
जीवन के यह रंग,बड़ों का आदर करना।
रखना सबसे प्यार,दुख से कभी मत डरना।
कहती अनु शुभ आज,लली ये शिक्षा पाती।
प्यारा घर परिवार,बनी दीपक की बाती।
65
आशा
आशा जो मन में जगी,हर मुश्किल आसान।
आशा के दम पे टिकी,मानव की पहचान।
मानव की पहचान,नहीं मर्यादा खोई।
जग में ऊँचा नाम,तभी जाने हर कोई।
कहती अनु यह देख,जगी हर मन जिज्ञासा।
करता वही कमाल, बड़ी है जिसकी आशा।
66
उड़ना
उड़ना चाहे मन कहीं,नील गगन के पार।
दूर क्षितिज में क्या छुपा,क्या है उसका सार।
क्या है उसका सार,नहीं जानी यह माया।
चाहे सभी जवाब,कहाँ यह शून्य समाया।
कहती अनु सुन बात, नहीं अब पीछे मुड़ना।
ढूँढो सही जवाब,तभी फिर सीखो उड़ना।
***अनुराधा चौहान***
बहुत सुंदर छंद सृजन सरस मनभावन।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteसभी कुंडलियाँ मनमोहक और मन्त्रमुग्ध करती हुई ..लाजवाब सृजन अनुराधा जी ।
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