Friday, March 20, 2020

ध्वजा तिरंगा

आशा भरी भोर फिर से 
खुशियों के संग खिलेगी।
वीर पुत्रों की हूँ जननी
सदियों तक धरा कहेगी

चलो मिटाले बैर भाव
गले लगाएं अपनो को
मानवता को आज जगा
सफल बनाएं सपनों को।
 जात-पात के भेद मिटे
तब ये चिंगारी बुझेगी‌।
वीर पुत्रों .....

हवा एक झूठ उड़ी तो
खींचतान हर ओर मची।
 स्वार्थ की विष बेल फली
भावनाएं कहीं न बची।
देशप्रेम नस-नस दौड़े
कब ये फिर हवा बहेगी
वीर पुत्रों.....

ध्वज तिरंगा मान अपना
भूलों को याद दिलाना।
एकता पहचान रही है
 कोई मत इसे भुलाना।
फिर तिरंगा हाथ लेकर 
 खुशियों की लहर चलेगी।
वीर पुत्रों......  
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

8 comments:

  1. वाह! देशभक्ति की चिंगारी जलाती सुंदर कविता।

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  2. हर दिल देशभक्ति को जागृत करती बेहतरीन सृजन सखी ,सादर

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  3. बहुत ओजस्वी ... देश भक्ति से ओत प्रोत ...

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  4. देशभक्ति के भावों से सजा अत्यंत सुन्दर सृजन .

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