(चित्र गूगल से साभार) |
यह तन हाड़ मांस की काठी
इक दिन तो जल जाना है
यूंही तेरा मेरा करे तू मनवा
सब यहीं धरा रह जाना है
धन दौलत के पीछे लगकर
व्यर्थ समय गंवाया करता है
हरी नाम सुमिर ले मनवा
साथ तेरे यही जाना है
भाई-बहन और बंधू सखा
सब रिश्ते इस संसार के
प्राण पखेरू जिस दिन निकले
सब यहीं धरे रह जाएंगे
जितनी माया यहां बटोरी
यहीं धरी रह जानी है
हरी के रंग में रंग जा मनवा
भवसागर तर जाएगा
***अनुराधा चौहान***
वाह ....मन खुश हो गया आपकी ये रचना पढ़ कर
ReplyDeleteसादर आभार रेवा जी
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteधन्यवाद दी
Deleteसार्थक अभिव्यक्ति..... बहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteधन्यवाद दी
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