कुछ ख्वाब बुनती हूं
कुछ ख्वाब लिखती
कुछ ख्वाब अधूरे
आज भी जिंदा है
स्मृति पटल पर
खलल डालते रहते
अंतर्मन में सदा
मैं खुद ही सवाल करती
खुद ही जबाब लिखती
इसे मेरी कहानी समझो
या मेरी कोई कविता
यह ख्वाब है मेरे मन के
बस शब्दों का आकार देती हूं
सोचो तो ख्वाब है जिंदगी
न सोचो तो अधूरा कुछ नहीं
जियो जिंदगी खुल कर
खूबसूरत एहसास के साथ
क्योंकि बड़ी
अनमोल है जिंदगी
आज है तो कल
हाथ से फिसली
जी लो जी भर के
खुद ख्वाब है जिंदगी
***अनुराधा चौहान***
अच्छा आकार दिया है इस ख़्वाब को शब्दों द्वारा ...
ReplyDeleteअच्छी रचना ...
धन्यवाद आदरणीय
Deleteख्वाब तो ख्वाब होते है
ReplyDeleteबेहद लाजवाब होते हैं
बहुत सुन्दर लिखा आप ने
मन को भा गई आप की रचना 👌👌👌
बहुत बहुत आभार नीतू जी
Deleteवाह वाह खुद ख्वाब है जिंदगी उत्तम...
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सुप्रिया जी
Deleteबहुत सुंदर!
ReplyDeleteख्वाबों के ख्वाब चुन दिये
ज्यों किसी जुलाहे ने तार तार बुन दिये
अप्रतिम।
बहुत बहुत धन्यवाद कुसुम जी
Deleteयह ख्वाब है मेरे मन के
ReplyDeleteबस शब्दों का आकार देती हूं
सोचो तो ख्वाब है जिंदगी
न सोचो तो अधूरा कुछ नहीं....
सच लिखा है आपने। ख्वाब न हों तो जीवन की संकल्पना न हो। शुभकामनाएं।
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय 🙏
Deleteजी अवश्य आपका बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी मेरी रचना को पांच लिंकों का आनंद साझा करने के लिए
ReplyDeleteसोचो तो ख्वाब है जिंदगी
ReplyDeleteन सोचो तो अधूरा कुछ नहीं
waaah.