Wednesday, December 12, 2018

जिसके हम हों राजा-रानी

शिशिर की 
शीतल रातें
ढोलक पर 
पड़ती
जब थापें
मधुर मिलन के 
गीत गाती
गुजरिया 
झूम झूमकर 
नाचें
बातें प्रीत की 
करनी हैं बाकी
चाँद तारे बने 
हमारे साक्षी
क्यों सजनी 
तू शरमाए
चलो हम गीत 
मिलन के गाएं
ठंडी सर्द 
हवाओं में
सुंदर मस्त 
फिज़ाओं में
आ तुझको 
मैं प्यार करूं
आ तेरा 

श्रृंगार करूं
मैं ले आया 
यह सुंदर हार
जो बने तेरे 
गले का श्रृंगार
आ तुझको 
पहना दूं प्रिय
दिल का हाल 
सुना दूँ तुझे
यूं चुप न बैठो 
कुछ तो कहो
कुछ मेरे संग 
सपने बुनो
तू मेरी मैं 
तेरा प्रिय
कहीं बीत 

न जाए 
रैना प्रिय 
आ तुझको 
सीने से लगाकर
अपने दिल में 
तुझे बसाकर
आओ लिखे 
आज़ प्रेम-कहानी
जिसके हम हों 
राजा-रानी

***अनुराधा चौहान***(चित्रलेखन)

15 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर रचना 👌
    शिशिर की
    शीतल रातें
    ढोलक पर
    पड़ती
    जब थापें....वाह !

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  2. आदरणीया अनुराधा जी बहुत खूब लिखा है आपने।

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  3. धन्यवाद आदरणीय लोकेश जी

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  4. आओ लिखे
    आज़ प्रेम-कहानी
    जिसके हम हों
    राजा-रानी.............बहुत सुंदर रचना

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १७ दिसंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. बहुत बहुत आभार श्वेता जी

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  6. शिशिर की ठिठुरन में सुंदर नरम उष्णता देती श्रृंगार रचना।
    बहुत सुंदर सखी।

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    1. बहुत बहुत आभार सखी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

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  7. बहुत ही खूबसूरत रचना...

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  8. बहुत स सुंदर श्रृंगार रचना प्रिय अनुराधा जी | ऐसी अनमोल शिशिर रजनी के क्या कहने जो प्रिय के सानिध्य में गुजरे | सस्नेह --

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    1. बहुत बहुत आभार रेनू जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

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