शीतल रातें
ढोलक पर
पड़ती
जब थापें
मधुर मिलन के
गीत गाती
गुजरिया
झूम झूमकर
नाचें
बातें प्रीत की
करनी हैं बाकी
चाँद तारे बने
हमारे साक्षी
क्यों सजनी
तू शरमाए
चलो हम गीत
मिलन के गाएं
ठंडी सर्द
हवाओं में
सुंदर मस्त
फिज़ाओं में
आ तुझको
मैं प्यार करूं
आ तेरा
श्रृंगार करूं
मैं ले आया
यह सुंदर हार
जो बने तेरे
गले का श्रृंगार
आ तुझको
पहना दूं प्रिय
दिल का हाल
सुना दूँ तुझे
यूं चुप न बैठो
कुछ तो कहो
कुछ मेरे संग
सपने बुनो
तू मेरी मैं
तेरा प्रिय
कहीं बीत
न जाए
रैना प्रिय
आ तुझको
सीने से लगाकर
अपने दिल में
तुझे बसाकर
आओ लिखे
आज़ प्रेम-कहानी
जिसके हम हों
राजा-रानी
***अनुराधा चौहान***(चित्रलेखन)
बहुत ही सुन्दर रचना 👌
ReplyDeleteशिशिर की
शीतल रातें
ढोलक पर
पड़ती
जब थापें....वाह !
धन्यवाद सखी
Deleteआदरणीया अनुराधा जी बहुत खूब लिखा है आपने।
ReplyDeleteधन्यवाद दीपशिखा जी
Deleteधन्यवाद आदरणीय लोकेश जी
ReplyDeleteआओ लिखे
ReplyDeleteआज़ प्रेम-कहानी
जिसके हम हों
राजा-रानी.............बहुत सुंदर रचना
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १७ दिसंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार श्वेता जी
Deleteशिशिर की ठिठुरन में सुंदर नरम उष्णता देती श्रृंगार रचना।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सखी।
बहुत बहुत आभार सखी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
Deleteबहुत ही खूबसूरत रचना...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी
Deleteबहुत स सुंदर श्रृंगार रचना प्रिय अनुराधा जी | ऐसी अनमोल शिशिर रजनी के क्या कहने जो प्रिय के सानिध्य में गुजरे | सस्नेह --
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार रेनू जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
Deleteसुन्दर और रूमानी गीत !
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