Saturday, March 9, 2019

सबसे बड़ी पूंजी


रिश्तों में प्यार पले
माँ के आँचल की छांव तले
पिता की मर्यादा को
जहाँ हरदम मान मिले

संस्कार से बड़ी  
कोई दौलत नहीं 
यह सबसे बड़ी 
पूंजी जीवन की

जहाँ बड़ो का सम्मान होता
बच्चे भी वहाँ संस्कारी होते
भाई-भाई में प्रेम पनपता
बहनों का प्यार अपार मिले

प्रेम से बड़ी 
कोई दौलत नहीं 
यह सबसे बड़ी 
पूंजी जीवन की

सच्चा दोस्त हो साथ अगर
मुश्किल न हो कठिन डगर
नहीं हो किसी से बैर मन में
जीवनसाथी से जीवन में प्यार मिले 

सच्चाई से बड़ी 
कोई दौलत नहीं 
यह सबसे बड़ी 
पूंजी जीवन की

***अनुराधा चौहान***

7 comments:

  1. संस्कार से बड़ी
    कोई दौलत नहीं
    यह सबसे बड़ी
    पूंजी जीवन की
    बिलकुल सत्य
    बहुत सुंदर रचना आदरणीया

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  2. सच का साथ हमेशा सुखद रहता है ...
    रिश्ते प्रेम और मन एक साथ चलते हैं सच का दमन थामें ... सुन्दर भाव ...

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  3. वाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूब

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