रिश्तों में प्यार पले
माँ के आँचल की छांव तले
पिता की मर्यादा को
जहाँ हरदम मान मिले
संस्कार से बड़ी
कोई दौलत नहीं
यह सबसे बड़ी
पूंजी जीवन की
जहाँ बड़ो का सम्मान होता
बच्चे भी वहाँ संस्कारी होते
भाई-भाई में प्रेम पनपता
बहनों का प्यार अपार मिले
प्रेम से बड़ी
कोई दौलत नहीं
यह सबसे बड़ी
पूंजी जीवन की
सच्चा दोस्त हो साथ अगर
मुश्किल न हो कठिन डगर
नहीं हो किसी से बैर मन में
जीवनसाथी से जीवन में प्यार मिले
सच्चाई से बड़ी
कोई दौलत नहीं
यह सबसे बड़ी
पूंजी जीवन की
***अनुराधा चौहान***
संस्कार से बड़ी
ReplyDeleteकोई दौलत नहीं
यह सबसे बड़ी
पूंजी जीवन की
बिलकुल सत्य
बहुत सुंदर रचना आदरणीया
बेहद आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुन्दर सखी
ReplyDeleteसच का साथ हमेशा सुखद रहता है ...
ReplyDeleteरिश्ते प्रेम और मन एक साथ चलते हैं सच का दमन थामें ... सुन्दर भाव ...
बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteवाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूब
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
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