दुनियाँ दीवानी दौलत की
यह दौलत है जो दिल तोड़े
दौलत ही अब रिश्ते जोड़े
दौलत की मची है मारामारी
भ्रष्टाचार बना रहा है बीमारी
दौलत, शौहरत है सबकी चाहत
इसके आगे मर रही इंसानियत
अब उसका पलड़ा भारी है
जिस पर लक्ष्मी की मेहरबानी है
हर जगह चल रहे घोटाले
कुछ भी कैसे भी
बस पैसा हैं कमाने
इंसान भूल रहे अपना प्यार
खड़ी हो रही दौलत की दीवार
दौलत का भूत सिर पर सवार
माँ-बाप का खर्च नहीं बर्दाश्त
अब दौलत से ही रिश्ते बनते
दौलत से ही रिश्ते बिगड़ते
दौलत से ही रिश्ते बिगड़ते
पैसे कमाने की होड़ मची है
हमसे बेहतर कोई नहीं है
फ़ुरसत के पल पास नहीं
फ़ुरसत के पल पास नहीं
बच्चों का बचपन भी याद नहीं
पर पैसे का पल-पल का हिसाब सही
दौलत की भूख कभी मिटाए न मिटे
ज़िंदगी बीतती जाती दौलत के फेर में
***अनुराधा चौहान***
फ़ुरसत के पल पास नहीं
ReplyDeleteबच्चों का बचपन भी याद नहीं
पर पैसे का पल-पल का हिसाब सही
दौलत की भूख कभी मिटाए न मिटे
ज़िंदगी बीतती जाती दौलत के फेर में
बहुत सटिक विश्लेषण,अनुराधा दी। बहुत बढ़िया।
धन्यवाद ज्योती जी
Deleteसस्नेह आभार नीतू जी
ReplyDelete