Saturday, April 13, 2019

रात की चौखट पर

रात की चौखट पर
ठिठक कर रुक जाते हैं
मेरी किस्मत के उजाले
दुःख की रात ढलती नहीं
सुख का सूरज आता नहीं
यह कैसी परीक्षा ज़िंदगी की
जब भी उजाले की ओर
बढ़ने लगते हैं मेरे कदम
कहीं से तेरी यादों का झोंका
आकर मुझसे लिपट जाता
बीत जाती है हर रात
तेरी यादों की चारपाई पर
मेरा वक़्त रुका वहीं
अभी भी तेरे इंतज़ार में
रात की चौखट पर
अंधेरे की काली चादर ओढ़
मैं दर्द की लहरों संग मचलता
आँसुओं के समंदर में डूबता
तुम्हें तलाशती आँखें हरपल
मुझे भरोसा आज़ भी है
तू आएगी एक दिन लौटकर
रात की चौखट पर
आज भी बैठकर करता हूँ
मैं तेरा इंतज़ार अक्सर
काश मेरा चाँद आए
चाँदनी के उजाले साथ लेकर
रात की चौखट पर आकर
तारे आस के टिमटिमा दे
भरोसा है मुझे भरोसे पर
मेरी ज़िंदगी में तेरा प्यार
रात की चौखट पार कर
ले जाएगा उजालों की ओर
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

5 comments:

  1. ये इंतज़ार जरूर पूरा होता है ... प्रेम का साथ इश्वर भी देता है ...
    भावपूर्ण रचना ...

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  2. बेहद प्यारी रचना ,सादर स्नेह सखी

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    Replies
    1. जी जानकारी देने के लिए आपका आभार

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