Wednesday, May 1, 2019

आज मजदूर दिवस है

मजदूर हैं पर नहीं मजबूर
मेहनत से करते ग़मों को दूर
सर्दी,गर्मी या बरसात में
दिखता उनको काम ही काम
हमारे सपनों को देकर आकार
सुंदर सुंदर महलों की
श्रम से नयी तस्वीर बनाते
गिट्टी पत्थर सिर पर ढोकर
श्रम से बदलते अपनी किस्मत
करते भविष्य को उज्जवल
बदलते देश की तस्वीर
योगदान इनका सबसे बड़ा
यही हैं असली कर्मशील
बहाते अपना खून-पसीना 
होकर यह बड़े ही धीर
फ़िर भी गुमनाम होकर जीते
सिर पर अपने ईंटें ढोते
नहीं मिलता इनको कोई इनाम 
नहीं रखता इन्हे कोई भी याद
कभी नहीं बदले इनकी किस्मत
सहनी पड़ती सदा ही जिल्लत
मंहगाई की मार भी सहते
रोज रात के आगोश में
भविष्य के नये सपने बुनते
सुबह मिलाकर गिट्टी गारे में
अपने सपने भी दीवारों में चुनते
यही उनकी असली किस्मत है
एक दिन उनके परिश्रम को याद करो
क्योंकि आज मजदूर दिवस है
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

5 comments:

  1. बहुत सार्थक संदेश लिए सुंदर भाव रचना सखी।
    अप्रतिम ।

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  2. सबके करीब
    सबसे दूर
    मजदूर!
    मजदूरो की तो यही कहानी है

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  3. वाह!बहुत खूब सखी !

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