लिख देते हैं दिल का हाल
हम स्याही में डूबकर
एक ही तो हमदर्द है यह
यह हमारे दुःख दर्द की
दर्द लिखो आँसू लिखो
या इबादत प्यार की
शहनाई की गूँज लिखो
ख़ाली दिल का हाल लिखो
या मुरादें महबूब के लिए
खुद के लिए तन्हाई लिखो
हमराज मेरी बस मेरी कलम
भरने खालीपन कागज का
डूब जाती स्याही में दर्द से
लिखने ग़म और तन्हाई
बनाकर स्याही को परछाई
ख़ुशी और ग़म के अहसास
लिख देती ज़िंदगी कागज़ पर
लगाकर गले स्याही को
चल देती कलम तड़पकर
दिल की बनकर राजदार
कोरे कागज पर
प्रिय के संदेशे बनकर
प्रिय के संदेशे बनकर
कभी खुशियों के गीत बनकर
तो कभी दर्द भरे नगमे लिखकर
एक स्याही ही तो है जो
बन जाती हमदर्द हमेशा
हमारे अपने सुख-दुख की
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (04-05-2019) को "सुनो बटोही " (चर्चा अंक-3325) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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अनीता सैनी
सहृदय आभार सखी
Deleteबहुत सुंदर सृजन|
ReplyDeleteहार्दिक आभार श्वेता जी
Deleteसामायिक विषय पर सामायिक रचना सखी।
ReplyDeleteबहुत सार्थक।
सहृदय आभार सखी
Deleteएक स्याही ही तो है जो
ReplyDeleteबन जाती हमदर्द हमेशा
हमारे अपने सुख-दुख की
बहुत खूब
धन्यवाद आदरणीय
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