Saturday, February 2, 2019

जीवन का दस्तूर

जब मन उदास होता है
तब सोचता कुछ करता कुछ है
हम कहना कुछ चाहते हैं
पर कहने कुछ लगते हैं
ऐसा तब होता है
जब कोई अपना हमें
छोड़कर जाने लगता है
हम रोकना चाहते हैं
पर रोक नहीं पाते हैं
उस समय खुद को
बड़ा ही बेबस पाते हैं
किस्मत के आगे हम
मजबूर नजर आते हैं
तब दिल का दर्द
आँसू बन बह निकलता है
शब्द अंदर ही अंदर
 दम तोड़ जाते हैं
संसार बेगाना-सा 
लगने लगता है
पर फिर भी हर ग़म
 पीकर जीना पड़ता है
अपनों के लिए दर्द में भी 
हँसना पड़ता है
यही जीवन का दस्तूर है
जिसके आगे सब मजबूर हैं
***अनुराधा चौहान***

चित्र गूगल से साभार

17 comments:

  1. पीकर जीना पड़ता है
    अपनों के लिए दर्द में भी
    हँसना पड़ता है
    यही जीवन का दस्तूर है
    जिसके आगे सब मजबूर हैं....बहुत सुन्दर सखी
    सादर

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  2. सही लिखा अनुराधा जी | मिलना बिछुड़ना जीवन का शाश्वत सत्य है | सार्थक पंक्तियों के लिए हार्दिक शुभकामनायें सखी |

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  3. जीवन के इस दस्तूर को बाखूबी लिखा है ...
    दर्द पी के जीना जीवन को असल मतलब देता है ...

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  4. जीवन का सत्य है...मिलना बिछुड़ना

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  5. वाह सखी¡
    गहरा जीवन दर्शन देती सार्थक रचना।

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  6. Replies
    1. बहुत बहुत आभार नीतू जी

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  7. वाह!!सुंदर अभिव्यक्ति सखी !

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    1. बहुत बहुत आभार शुभा जी

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  8. अपनों के लिए दर्द में भी
    हँसना पड़ता है
    यही जीवन का दस्तूर है
    जिसके आगे सब मजबूर हैं...... बहुत सार्थक अभिव्यक्ति!!!!

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  9. यही जीवन का दस्तूर है
    जिसके आगे सब मजबूर हैं... सच है! wideangleoflife.com

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