Thursday, May 16, 2019

पिता की छाया

तपते मरूस्थल में तरुवर के जैसे
छाया देते पिता सदा ही ऐसे
जीवन की धूप से रखते बचाकर
आगे बढ़ाते सही मार्ग दिखाकर
दिखाते नहीं कभी प्रेम अपना
उनकी डांट में छुपा जीवन का सपना
कठोरता का कभी-कभी पहनकर आवरण
निखारते हैं सदा हमारा आचरण
सोच उनकी कभी ग़लत नहीं होती
हमारे लिए सदा सही मार्ग ही चुनती
एक खरोंच आ जाए तो तड़प उठते
प्रेम दिखाने में मगर बहुत संकोच करते
हृदय में भरा प्रेम का अथाह सागर
व्यक्त करने का पर तरीका अलग है
कहते हैं कम रहते हैं मौन
पिता से बड़ा भला हितैषी और कौन
पग-पग पर खड़े रहते हैं ढाल बनकर
पिता की यही खूबी सबसे है हटकर
माँ से मिलती संस्कारों की पूँजी 
पिता से मिले ज़िंदगी जीने का तरीका
जीवन में तकलीफों को खुद सह लेते
ज़िंदगी में हमारी खुशियाँ ही भरते
पिता के बिना घर, घर नहीं लगता
उनके वजूद से हर रिश्ता खिलता
रौशनी पिता से रौनकें पिता से
ज़िंदगी की धूप में छाया पिता से
खुद कष्ट सहते हमें सुख देते
मुश्किलों में साहस बनते पिता
मत भूल जाना कभी त्याग पिता का
हमारे भविष्य की नींव है पिता
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

24 comments:

  1. मत भूल जाना कभी त्याग पिता का
    हमारे भविष्य की नींव है पिता
    बिलकुल सही ,बेहतरीन रचना सखी

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  2. बेहतरीन पिता की डांट में भी छुपा होता ही जीवन का सपना ,मत भूल जाना कभी त्याग पिता का हमारे भविष्य की नींव है पिता, सुन्दर भाव अभिव्यक्ति

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    1. बहुत बहुत आभार ऋतु जी

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  3. बहुत भावुक कर दिया अनुराधा जी आपने और लगता है कि आपने सिर्फ़ अपने पिता के प्रति अपनी भावनाओं का ही नहीं, बल्कि मेरे पिता के प्रति मेरी भावनाओं का भी चित्रण कर दिया है.

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    1. सहृदय आभार आदरणीय

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (18 -05-2019) को "पिता की छाया" (चर्चा अंक- 3339) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    ....
    अनीता सैनी

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  5. वाह!!प्रिय सखी ,बहुत ही भावपूर्ण रचना ।

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    1. आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार सखी

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  6. बहुत शानदार अभिव्यक्ति सखी पीता के बारे में।
    बिल्कुल खरी हृदय तक उतरती।

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    1. आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार प्रिय सखी

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  7. मत भूल जाना कभी त्याग पिता का
    हमारे भविष्य की नींव है पिता..., भावपूर्ण सशक्त अभिव्यक्ति जो सीधी मन में उतरती है ।
    बहुत सुन्दर सृजन अनुराधा जी ।

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    1. सस्नेह आभार प्रिय मीना जी

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  8. खुद कष्ट सहते हमें सुख देते
    मुश्किलों में साहस बनते पिता
    मत भूल जाना कभी त्याग पिता का
    हमारे भविष्य की नींव है पिता
    दिल को छूती बहुत ही सुंदर रचना,अनुराधा दी।

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    1. सहृदय आभार ज्योती बहन

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  9. धन्यवाद आदरणीय

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  10. सहृदय आभार यशोदा जी

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  11. मन को छू कर निकलती बहुत ही सुन्दर रचना
    सादर

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  12. रौशनी पिता से रौनकें पिता से
    ज़िंदगी की धूप में छाया पिता से
    वाह!!!
    सुन्दर सार्थक एवं सटीक रचना.....
    बहुत लाजवाब।

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  13. आज हमारा आस्तित्व पिता की वजह से ही है ।सुन्दर रचना

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  14. तपते मरूस्थल में तरुवर के जैसे
    छाया देते पिता सदा ही ऐसे
    जीवन की धूप से रखते बचाकर
    आगे बढ़ाते सही मार्ग दिखाकर
    दिखाते नहीं कभी प्रेम अपना
    उनकी डांट में छुपा जीवन का सपना
    बहुत भावपूर्ण प्रिय अनुराधा जी | पिता की अभ्र्यर्थना सरीखी रचना !!!!! सस्नेह

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    1. आपकी सुंदर प्रतिक्रिया पाकर मेरी मेहनत सफल हो जाती है प्रिय रेणु जी

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  15. मन को छू गई आपकी रचना।

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