Sunday, November 10, 2019

वास्तविकता ज़िंदगी की

वास्तविकता को परे रख
दिखावे की ज़िंदगी जीने वाले
भर लेते हैं जीवन में
काँटे हमेशा चुभने वाले

यथार्थ के पथ पर काँटे सही
पर मार्ग उम्मीदों भरा 
खुशी के पल पग-पग मिले
जीवन में पग-पग संघर्ष भरा

दिखावे की कोशिश में दुनिया लगी
पाने की नियत में ज़िंदगी लगी
वास्तविकता को परे रखकर
मौत और विनाश के कगार आ खड़े

अब जरा डगमगाए तो गिरना
जमाने को पीछे छोड़ बढ़ना
हम श्रेष्ठ के चोले के पीछे
व्यर्थ विवादों के बुन ताने-बाने

सोच ऊँची,कर्म हो सच्चे
मेहनत भरी हो ज़िंदगी,मन सच्चे
ज़िंदगी की वास्तविकता यही
पर ज़िंदगी अब छल-कपट से भरी

छाँव भी शीतल नहीं अब
धूप भी चुभती बहुत है
कसक भेदती हरपल दिलों को
यह ज़िंदगी भी भला कोई ज़िंदगी
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

4 comments:

  1. बहुत सुंदर सखी! सार्थक भावों को उजागर करती रचना।

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