भाव हृदय का बहता झरना
जीवन का आधार लिये।
जीवन पथ के चलते राही
हृदय प्रीत साकार किये।
हृदय बसा आशा की किरणें
मन उजियारा करना है।
जीवन में आए कोई संकट
उससे कभी न डरना है।
सूने अँधियारे-से पथ पर
आस दीप जलाकर जिये।
भाव हृदय का बहता झरना
जीवन का आधार लिये।
सच्चाई की राह पकड़ना
सच्चाई की राह पकड़ना
कपट हृदय में मत रखना।
सरगम के सुर महके हरदम
स्वाद प्रेम का मिल चखना।
चाक चले जब गीली मिट्टी
लेती ज्यूँ आकार प्रिये
भाव हृदय का बहता झरना
जीवन का आधार लिये।
प्रीत घड़ा साँचे में ढलकर
नित्य समय की आँच तपा।
सुखमय बीतेंगे दिन सबके
राम नाम का सार जपा।
इन बातों को गाँठ बाँध लो
जीवन हो साकार प्रिये।
भाव हृदय का बहता झरना
जीवन का आधार लिये।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
श्रेष्ठ कृति, कुम्हार के घड़े और चाक के माध्यम से जीवन, प्रीत और प्रेम के गूढ़ बातों को प्रकट करती सुन्दर कृति
ReplyDeleteसुंदर सार्थक अध्याम सी रचना
ReplyDeleteधन्यवाद सखी
Deleteबहुत सुंदर रचना, अनुराधा दी।
ReplyDeleteआभार बहना
Deleteवाह!खूबसूरत भावों से सजी सुंदर रचना सखी ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteऊत्तम सृजन
ReplyDeleteधन्यवाद दी
Deleteजी आभार
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