Thursday, July 22, 2021
अवसर
Friday, July 16, 2021
पलायन
आग पेट की आज जलाए
कलह मचाकर अति दुखदायन।
संतोष मिटा मेटे खुशियाँ
भूख बनी है ऐसी डायन।
चूल्हे खाली हांडी हँसती
अंतड़ियाँ भी शोर मचाए।
तृष्णा सबके शीश चढ़ी फिर
शहरी जीवन मन को भाए।
समाधान से दूर भागते
चकाचौंध के डूब रसायन।
आग....
बंजर होती मन की धरती
विपदा जब-तब खेत उजाड़े
प्रलोभनों के बीज उगी अब
खरपतवारें कौन उखाड़े
माटी की सब भीतें ढहती
आँगन आज नहीं सुखदायन।
आग..
खलिहानों की सिसकी सुनकर
रहट नहीं आवाजें देता।
कर्ज कृषक की खुशियाँ छीने
झोली अपनी भरते नेता।
दुख हरने जीवन के सारे
कब आओगे हे नारायण
आग...
बैलों की घण्टी चुप बैठी
दिखता नहीं बजाने वाला।
अंगारों पर बचपन सोता
गले पहन काँटो की माला।
सूखी माटी पर हल चीखें
कोई रोके ग्राम पलायन।
आग....
©® अनुराधा चौहान'सुधी'✍️
चित्रकार-रेणु रंजन गिरी
हाइकु-३
1
भादों मध्यान्ह~
इंद्रधनुष देखता
प्रेमी युगल।
2
बारात द्वार~
पंडाल में तैरते
जूते-चप्पल।
3
हल्दी की रस्म~
पीली चिट्ठी टुकड़े
वर के हाथ।
4
शरद साँझ~
माँ अलाव में डाले
नीम पत्तियाँ।
5
डोली में वधू~
खोमचे से उठती
टिक्की सुगंध।
6
जेठ मध्यान्ह~
कूटती लाल मिर्च
ओखली में माँ।
7
जाह्नवी तट~
पेड़ पर उकेरा
प्रेमी का नाम।
8
संगम घाट~
उकेरा रेत पर
प्रेमी का नाम।
9
शीतलहर~
मूँगफली की उठी
चौका से गंध।
10
पौष मध्यान्ह~
दादी के पोटली से
सपड़ी गंध।
11
जेठ मध्यान्ह~
गुल्ली डंडा से फटा
वृद्ध का सिर।
12
मेथी के दाने~
चौका से आती गंध
गुड़ सौंठ की।
13
कुहासा भोर~
मधुशाला में मारी
पत्नी बेलन
14
मावस रात्रि~
जर्जर हवेली में
गादुर स्वर।
15
जेठ मध्यान्ह~
महिला की पीठ पे
गन्ने का ढेर।
16
तारों की आभा~
तंबू भीतर गूँजी
घुँघरू ध्वनि।
17
कुहासा भोर~
बाला तिरंगा बीनी
स्कूल द्वार से
18
पौष मध्यान्ह~
रसोई में बनायी
माँ तिल पट्टी।
19
कुहासा भोर~
छिंदरस की आई
चौका से गंध।
20
पहाड़ी पथ~
ग्वार पाठा के पत्ते
वैद्य झोली में
21
गेहूँ के दाने~
कबूतर का चूजा
दबोचे श्वान।
22
भोर लालिमा~
राख से अस्थि बीनी
युवा बिटिया।
23
जेठ मध्यान्ह~
टीन छत पे गूँजी
बूँदों की टप।
24
जेठ मध्यान्ह~
विद्युत द्युति संग
मेघ फुहार।
25
अषाढ़ भोर-
मोर नृत्य देखते
बाल समूह
26
नदी का तट-
सूर्यास्त देख रहा
प्रेमी युगल।
27
चैत्र मध्यान्ह~
पलाश फुगनी पे
भ्रमर गूँज।
28
जेठ मध्यान्ह~
शुष्क धरा पे गिरी
वर्षा की बूँद।
29
बसंत भोर~
टूटे अण्डे से गूँजे
चिरप स्वर।
30
गाँव में बाढ़~
प्रसूता की गोद में
किलकी स्वर।
31
जेठ मध्यान्ह~
कृशकाय बैल पे
छड़ी प्रहार।
32
झील का तट~
अजगर मुख में
बत्तख चूजा।
33
जेठ मध्यान्ह~
गन्ना रस के साथ
लहू मिश्रण।
34
भोर लालिमा ~
रेल द्वार पे झूला
नवयुवक ।
©® अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित ✍
चित्र गूगल से साभार