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जेठ दुपहरी की तपन,नौतपा का प्रहार
विपदा यह सबसे बड़ी,करते हाहाकार
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तन जलावे धूप बड़ी,लू का तीखा वार
कैसे यह विपदा टले,प्रभू लगाओ पार
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जल संकट से हर तरफ, मच रहा कोहराम
करो सूर्य उपकार तो,मिल जावे आराम
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कुम्हलाय पेड़ पौधे,संकट बढ़ता अपार
वर्षा के दिख जाए अब,थोड़े से आसार
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***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
चित्र गूगल से साभार