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Wednesday, December 12, 2018

जिंदगी

कोई जब ज़िंदगी में 
खास होता है
उसका वक़्त पर 
एहसास नहीं होता
जब कहीं वो आंँखों से 
ओझल हो जाता है
तब अपनी गलती का 
एहसास होता है
ऐसे ही माता-पिता की 
अहमियत 
तब तक समझ नहीं आती
जब तक वो हमारी 
जरूरत पूरी करते रहते हैं
जब वो लाचार हो जातें हैं
या कभी अचानक
सिर से हट जाता 
पिता का हाथ
आश्वासन देने तो 
बहुत लोग हैं आते
पर साथ देने वाला 
कोई हाथ नहीं आता
तब होता है पिता की
अहमियत का एहसास
समय रहते करलो
हर रिश्ते की कदर
ज़िंदगी मौका देती है
तो धोखा भी दे जाती है
***अनुराधा चौहान***

8 comments:

  1. सही कहा आपने,माँ बाप के जाने के बाद ही उनकी अहमियत समझ आती है ,प्रेरणादायक रचना ,आप के ब्लॉग पर आ कर अत्यंत प्रसन्न्ता हुई .

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीया आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आपका स्वागत है

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  2. Replies
    1. बहुत बहुत आभार अटूट बंधन आपका

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  3. बहुत सही प्रिय अनुराधा जी |माता पिता का संसार में कोई विकल्प हरगिज नहीं | सस्नेह --

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    Replies
    1. बहुत बहुत आभार रेनू जी

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