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Saturday, March 7, 2020

अनु की कुण्डलियाँ--12

67
होली
होली देती सीख यह,मिलकर गाओ गीत।
भूलो कड़वाहट सभी, खेलो होली मीत।
खेलो होली मीत,खुशी के रंग में रंग।
खुशियों भरी उमंग,खिले सबके अंग अंग।
कहती अनु यह देख,लगे फिर माथे रोली।
होली भरती प्रीत, बड़ी मन भाती होली।

68
खिलना
खिलना फूलों की तरह,काँटें लेकर हाथ।
जीवन में मिलते सदा,सुख दुख दोनों साथ।
सुख दुख दोनों साथ,यही जीवन का सच है।
सुन यह कड़वे राज,मची मन में हलचल है।
कहती अनु यह देख,नहीं सुख सबको मिलना।
संघर्ष से सुख जीत,तभी फूलों सा खिलना।

69
साजन
साजन मुझको चाहिए,बस थोड़ा सा मान।
दुनिया में मेरी बने,थोड़ी सी पहचान।
थोड़ी सी पहचान,नहीं कुछ माँगू दूजा।
मिले मान सम्मान,बड़ी यह सबसे पूजा।
कहती इतनी बात,नहीं कुछ चाहूँ राजन।
जीवन भर का साथ,यही बस माँगें साजन।

70
सजना
सुंदर सा सजना जरा,पहन नौलखा हार।
आँखों में कजरा लगा,देख जले सब नार।
देख जले सब नार,पहन जब चलती पायल।
कँगना खनके हाथ, हुआ दिल सबका घायल।
कहती अनु मन देख,भाव से भरा समंदर।
सजती है जब नार,नहीं उस जैसा सुंदर।

71
डोरी
डोरी हाथों में बँधे,बन जाती है खास।
बहना की इसमें छुपी,प्यारी-सी है आस।
प्यारी-सी है आस,कभी हमको न भुलाना।
राखी आए पास,बहन से मिलने आना।
अनु आँसू अब पोंछ,बची बस यादें कोरी।
छूटा ऐसा साथ,गिरी हाथों से डोरी।

72
बोली
बोली बोलो प्रेम की,बनते बिगड़े काम।
कड़वी बोली से सदा,होते हैं बदनाम।
होते हैं बदनाम,बढ़े रिश्तों में दूरी।
कोमल सदा स्वभाव,करे अभिलाषा पूरी।
कहती अनु सुन बात,ज्ञान से भर लो झोली।
मधुर सदा व्यवहार,अगर हो मीठी बोली
अनुराधा चौहान स्वरचित ✍️
चित्र गूगल से साभार

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