(चित्र गूगल से संगृहीत) |
सूखे खेत
चटकती धरती
सूख रहें हैं पेड़
अब तो जम कर बरसो मेघ
जल बिन कैसे
उगे अनाज
जीना होता
अब दुस्वार
और बंजर होते खेत
अब तो जम कर बरसो मेघ
धूप से जलता
बदन हमारा
तुम बिन होता
नहीं अब गुजारा
सिसकते बच्चे भूखे पेट
अब तो जम कर बरसो मेघ
आसमां को
तकते नैना
तुम बिन अब
पड़े न चैना
बोले तुझसे नीर भरे दो नैन
अब तो जम कर बरसो मेघ
तुम बरसे तो
सुख बरसेगा
सुखमय होगा जीवन मेरा
अब तो बरसा दो तुम नेह
अब तो जम कर बरसो मेघ
***अनुराधा चौहान***
अति उत्तम
ReplyDeleteधन्यवाद जी
Deleteवाहः खूब
ReplyDeleteसादर आभार आपका
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