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Sunday, May 9, 2021

माँ


 माँ 
तेरे लिए
कुछ लिखने चलूँ
तो शब्द कम पड़ जाते हैं
माँ इस 
छोटे अल्फाज़ में
सारे सुख 
सिमट जाते है
माँ तू खुद में पूर्ण है
धूप में
शीतल छाँव है
कष्ट में 
मखमली अहसास है
माँ 
तुझसे ही हर दिन है
मेरी 
हर इक श्वास है
तेरे लिए कोई 
ख़ास दिन नहीं
पर माँ तुझसे ही 
मेरा
हर दिन ख़ास है
अनुराधा चौहान'सुधी'✍️
चित्र गूगल से साभार

17 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर सृजन।🌻♥️

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    1. हार्दिक आभार शिवम् जी

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (१० -०५ -२०२१) को 'फ़िक्र से भरी बेटियां माँ जैसी हो जाती हैं'(चर्चा अंक-४०६१) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  3. मां को समर्पित बहुत ही भावपूर्ण रचना ।आपको सादर शुभकामनाएं।

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    1. हार्दिक आभार जिज्ञासा जी

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  4. "..
    माँ
    तुझसे ही हर दिन है
    मेरी
    हर इक श्वास है
    ...."

    इस पंक्ति से मैं भावुक हूँ। छोटी पर बहुत सुन्दर रचना रची है आप। बेहतरीन।

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    1. हार्दिक आभार प्रकाश जी।

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  5. वाह भावना का अथाह सागर है आपकी इस छोटी सी रचना में। बहुत सुंदर सृजन सखी।
    मातृ दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।

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  6. क्या बात कही है अनुराधा जी..वाह।

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  7. बहुत ही सुन्दर सृजन ।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया

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  8. सच है माँ ख़ास होती है हर दिन को ख़ास कर जाती है ...
    उसके लिए एक दिन नहीं सारे दिन सामान हैं ...

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    1. जी सही कहा आपने.!हार्दिक आभार आदरणीय।

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  9. माँ , की व्याख्या नहीं हो सकती । सुंदर रचना ।

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    1. सहृदय आभार आदरणीया

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