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Wednesday, June 1, 2022

प्रहरी हमारे

ऊँचा लिए तिरंगा हम थाम के चलेंगे।
यह मान देश का है हम शान से कहेंगे॥

वीरों भरी धरा पर जयघोष गूँजता जब।
झुकता नहीं हिमालय हम भी नहीं झुकेंगे॥

हो रात भी घनेरी अरि घात हो लगाए।
जयघोष भारती का सुनकर सदा डरेंगे॥ 

माता धरा हमारी हम प्राण वार देंगे।
तन से लहू बहे पर हम वार भी करेंगे॥

सुन लो वसुंधरा के सच्चे सपूत सैनिक।
यह धूप में खड़े हो हर वार भी सहेंगे॥

कितनी घनी घटा हो या चंचला डराए।
प्रहरी बने हमारे जय भारती कहेंगे।

कहती सुधी चलें जब यह ओढ़ कर तिरंगा।
तब देख यह विदाई बस अश्रु ही बहेंगे।

*अनुराधा चौहान'सुधी'✍️*
चित्र गूगल से साभार

11 comments:

  1. जय हिंद । वीर सैनिकों के लिए एक सैल्यूट ।
    बहुत अच्छी रचना ।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया।

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  2. देशप्रेम से सज्जित सुंदर हृदयस्पर्शी रचना । वंदे मातरम ।

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना गुरूवार २ जून २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    Replies
    1. हार्दिक आभार श्वेता जी।

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  4. सुन लो वसुंधरा के सच्चे सपूत सैनिक।
    यह धूप में खड़े हो हर वार भी सहेंगे॥
    बहुत सुंदर...
    आभार..

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  5. बहुत ओजस्वी रचना प्रिय अनुराधा जी। सैनिकों के लिए विरुदावली लिखना राष्ट्र के हर नागरिक का परम कर्तव्य है राष्ट्र के प्रति उनकी निष्ठा और निस्वार्थ सेवा को किन्हीं अर्थों में भी कम नहीं आंका जा सकता।वे शत्रु से भिड़ कर,सर्वोच्च बलिदान देकर तिरंगे में लिपटकर आने को सदैव तैयार रह्ते हैं।जय हिंद,जय हिन्द की सेना 🙏

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    1. आपका हार्दिक आभार सखी।

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  6. तिरंगा ओढ़ कर हमारे वीर कब तक चलेंगे? क्या उनकी अंतिम यात्राओं का यह दौर कभी थमेगा?

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  7. मुझे नहीं लगता कभी ऐसा भी दिन आएगा?
    प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आदरणीय।

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  8. अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
    greetings from malaysia
    द्वारा टिप्पणी: muhammad solehuddin
    let's be friend

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