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Tuesday, September 18, 2018

जिंदगी के रंग

कभी पवन सी बहती
कभी सरगम है गाती
कभी हंसती मुस्कुराती
पल में रंग बदलती जिंदगी
जिंदगी तो जिंदगी है
खुशियों के रंग भरती
कभी फूलों सी खिलती
कभी शूलों सी चुभती
कभी पतझड़ सी झड़ती
अपने रुप दिखाती जिंदगी
जिंदगी तो जिंदगी है
अपनी रफ्तार भागती
कभी सागर सी उफनती
कभी नदियों सी मचलती
कभी झरने सी झरती
रेत सी फिसले यह जिंदगी
जिंदगी तो जिंदगी है
सुख-दुख के खेल दिखाती
कभी टूट कर बिखरती
कभी उठ कर संभलती
किसी मोड़ पर है जा रुकती
बड़ी धोखेबाज है जिंदगी
जिंदगी तो जिंदगी है
अपने कर्त्तव्य निभाती
***अनुराधा चौहान***

20 comments:

  1. बहुत बहुत आभार आदरणीय मेरी रचना को स्थान देने के लिए

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  2. बहुत सुन्दर लिखा आप ने
    अंदाज़ अच्छा लगा।

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    1. बहुत बहुत आभार नीतू जी

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  3. सही लिखा है ... जिंदगी ऐसी ही है ... जो चाहती है वैसे रूख मोड़ देती है ...

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  4. कभी टूट कर बिखरती
    कभी उठ कर संभलती
    किसी मोड़ पर है जा रुकती
    बड़ी धोखेबाज है जिंदगी.... सही है बड़ी धोखेबाज है जिन्दगी , सुंदर रचना

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  5. जिंदगी तो जिंदगी है... सुंदर रचना

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  6. वाह मित्र जी जिंदगी को कितनी गहराई तक उतर कर बयां किया है।
    अति सुंदर काव्य।

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  7. बहुत खूब अनुराधा जी।ये जो जिंदगी की किताब हैं बहुत खूबसूरत किताब हैं।बहुत suprizes हैं इसमे

    कभी फूलों सी खिलती
    कभी शूलों सी चुभती

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  8. जिंदगी उतार दी भावो मे.

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  9. बेहद सुंदर ज़िंदगी का फ़लसफा...शब्दों की बुनावट और भाव भी बहुत सुंदर है अनुराधा जी।

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    1. धन्यवाद श्वेता जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

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  10. बहुत ही सुन्दर रचना 👌👌

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  11. जिन्दगी के उतार-चढ़ाव के विविध रूपों का सुंदर सृजन अनुराधा जी ।

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