हर दिल में बस एक ही दुआ
वर्षा ऋतु आए गर्मी मिटाएं
घनघोर घटाएँ ठंडी हवाएँ
झूमकर बरसे काली घटाएँ
तपन मिटे जीवन हँसे
प्यास बुझे धरती खिले
हो बरसात अबकी ऐसी
खुशियाँ झलक उठे कृषकों की
झूम उठे खेतों में फसलें
खुशियों की हो बारिश ऐसी
मेघ मल्हार गाएँ सब झूमके
दामिनी तड़के बहुत धूम से
झूमे लहराएँ तरुवर सारे
कोई मनोहर राग सुनादे
वसुंधरा उदास-सी बैठी है तैयार
बरखा बहार का करने इंतज़ार
मेघराज आएँ प्रेम रस बरसाएँ
धानी चुनरिया धरा को पहनाएँ
संदेशे लाते हैं बादल बार-बार
कभी धूप कभी छाँव
कभी झूमती हवाएँ
कभी झूमती हवाएँ
वर्षा के आगमन की
आकर झलकियाँ दिखाते
आसमां में टिकी निगाहें
हर दिल में आस जगी है
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
चित्र गूगल से साभार
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 03/06/2019 की बुलेटिन, " इस मौसम में रखें बच्चो का ख़ास ख़्याल - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteसच में इस झुलसा देने वाली गर्मी में अब सबको बारिश का इंतजार है
ReplyDeleteसहृदय आभार ऋतु जी
Deleteधन्यवाद अमित जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन अनुराधा जी ।
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ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना 5 जून 2019 के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत धन्यवाद पम्मी जी
Deleteसच, अब तो गरमी असहनीय हो गई। वर्षा का इंतजार सबको है। सुंदर रचना।
ReplyDeleteतपती इस धरती पर अथाह चाह पर सुंदर सृजन सखी।
ReplyDeleteसहृदय आभार सखी
Deleteधन्यवाद आदरणीय
ReplyDeleteसच, बस अब बारिश का बेशब्री से इंतजार हैं ,बहुत सुंदर रचना ,सखी
ReplyDeleteसही कहा सखी आपने सहृदय आभार
Deleteअनुराधा जी, वर्षा तो इस बार विलम्ब से होगी. तब तक आप वर्षा-विषयक कविताएँ ही बरसाती रहिए, इस प्रचंड गर्मी में उनसे कुछ तो राहत मिलेगी.
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
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