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Friday, May 31, 2019

नौतपा का प्रहार

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जेठ दुपहरी की तपन,नौतपा का प्रहार
विपदा यह सबसे बड़ी,करते हाहाकार
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तन जलावे धूप बड़ी,लू का तीखा वार
कैसे यह विपदा टले,प्रभू लगाओ पार
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जल संकट से हर तरफ, मच रहा कोहराम
करो सूर्य उपकार तो,मिल जावे आराम
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कुम्हलाय पेड़ पौधे,संकट बढ़ता अपार
वर्षा के दिख जाए अब,थोड़े से आसार
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***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

10 comments:

  1. बहुत बहुत सुंदर रचना दोहा छंद में बहुत प्यारा सृजन।

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    1. बहुत बहुत आभार सखी

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  2. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अनुराधा दी।

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    1. हार्दिक आभार ज्योती बहन

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  3. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (03-06-2019) को

    " नौतपा का प्रहार " (चर्चा अंक- 3355)
    पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है


    अनीता सैनी

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  4. हार्दिक आभार भारती जी

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  5. यथार्थवादी रचना..

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    1. सहृदय आभार अनिता जी

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