कुंडली मारकर बैठे हैं यह
इंसानियत के दामन पर
तिल-तिल मरती मानवता
मुखौटा धारी मानव से
कौन अपना और कौन प्यारा
कैसे यह पहचान करे
एक चेहरे पर कई-कई चेहरे
कैसे कोई पहचान करे
वही सुखी इस दुनिया में
जो पहने झूठ का मुखौटा
सच्ची सूरत वाले को तो
पग-पग पर मिलता है धोखा
मानवता का पहन मुखौटा
हैवानियत के काम करें
इंसानों के बीच इन इंसानों की
इंसानियत भला क्या पहचान करे
गिरगिट जैसी सीरत इनकी
नीयत के पीछे खोट छुपी
असली सूरत जाने न कोई
भोले सूरत में बुराई छुपी
सच्चाई जो समझ सके
ऐसी नज़र कहाँ से आए
चेहरे के पीछे चेहरों का
जो राज उजागर कर जाए
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
वाह बहुत ही लाजवाब आज की सच्चाई पर प्रहार करती सटीक रचना
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी
Deleteबहुत ही सुंदर..... सखी
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी
Deleteसच्ची सूरत वाले को तो
ReplyDeleteपग-पग पर मिलता है धोखा
बिलकुल सटीक 👌👌
सहृदय आभार सुधा जी
Deleteबहुत सुन्दर सटीक रचना
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी
Deleteवाह अनुपम सृजन
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteगिरगिट जैसी सीरत इनकी
ReplyDeleteनीयत के पीछे खोट छुपी
असली सूरत जाने न कोई
भोले सूरत में बुराई छुपी
बहुत खूब सखी | सच कहा आपने इन मुखौटा धारियों की पहचान कैसे हो | पल भर में शहद में डुबोकर फिर नीम से कडवे हो जाते हैं | काश ईश्वर करे किसी से इनका पाला न पड़े | खरी खरी रचना सखी | हार्दिक स्नेह के साथ --
आपका हार्दिक आभार सखी
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