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Saturday, May 11, 2019

माँ तुम हो महान

क्या लिखूँ कैसे लिखूँ
कैसे तुझको शब्दों में रचूँ
तुम खुद पूरा संसार हो
तेरा क्या मैं गुणगान करूँ

बेटी बनी पत्नी बनी
हम सब की जननी बनी
दादी-नानी बनकर तूने
रिश्तों की रचना करी

तेरे होने से ही हम है
तेरे दम से यह जीवन है
अनुभवों की तुम खान हो
माँ तुम हो बहुत महान हो

हँसना बोलना चलना सीखा
मुश्किलों से लड़ना सीखा
जीवन की प्रथम पाठशाला
ऊँच-नीच दुनिया की सीखी

दूर भले ही तू मुझसे रहती
दिल में मेरे बस तू ही रहती
जब तक करूँ न तुमसे बात
दिल में हरदम बेचैनी रहती

याद आए हरदम तेरा आँचल
खनकती हुई हाथों की चूड़ियाँ
याद आती है पायल की रुनझुन
माँ तेरे बिन लगता अकेलापन

सुन लेती हूँ तेरी आवाज़
लगता है जैसे हो मेरे पास
कुछ और ना मैं माँगू रब से
तेरा सदा सिर पे हाथ रहे

संस्कार अनुभव जो तुमने दिए
उससे ही यह जीवन सजे
यही सीख में आगे बढ़ाती
तेरी तरह ही रिश्तों को सजाती

फ़िर भी न बन पाई तेरे जैसी
रह जाती हरदम कोई कमी-सी
कैसे कर लेती हो तुम इतना सब
तभी तो माँ तुम हो सबसे हटकर
***अनुराधा चौहान***

18 comments:

  1. बहुत सुंदर मन को सहलाती भावों से ओतप्रोत सरस अभिव्यक्ति सखी मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एक मां और एक बेटी दोंनो रूप में ।

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    1. सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत आभार सखी आपको भी मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  2. बहुत ही सुन्दर ,हृदयस्पर्शी रचना....
    मातृदिवस की शुभकामनाएं ।

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  3. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (13-05-2019) को

    " परोपकार की शक्ति "(चर्चा अंक- 3334)
    पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    ....
    अनीता सैनी

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  4. संस्कार अनुभव जो तुमने दिए
    उससे ही यह जीवन सजे
    यही सीख में आगे बढ़ाती
    तेरी तरह ही रिश्तों को सजाती
    फ़िर भी न बन पाती तेरे जैसी
    रह जाती हरदम कोई कमी-सी
    बहुत खूब ..सही कहा तुमने ,सादर स्नेह सखी ,मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाये

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  5. अप्रतिम ! बहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी रचना ����

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  6. माँ होना आसान कहाँ ...
    माँ से संसार है ... जीवन है ... अच्छी रचना है ...

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  7. बहुत सुन्दर सृजन ।

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  8. फ़िर भी न बन पाती तेरे जैसी
    रह जाती हरदम कोई कमी-सी
    कैसे कर लेती हो तुम इतना सब
    तभी तो माँ तुम हो सबसे हटकर
    माँ को भावपूर्ण अद्बोधन सखी | सच में हम बेटियां माँ की परछाई ही तो होती हैं | साथ में उनके संस्कारों का मूर्त रूप भी | सच में आपने मेरे ही मन के भाव लिख दिए अनुराधा बहन | माँ बहुत प्यारी है | शायद ममता का चेहरा एक ही होता है जो ममत्व प्रधान है बस | सस्नेह --

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    1. आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह आभार सखी

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  9. हृदयस्पर्शी खूबसूरत रचना।

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