तुमसे ही मेरा जहान माँ
तुम ही मेरी भगवान
बड़ी ही प्यारी भोली-भाली
मेरे चेहरे की मुस्कान है
उँगली पकड़ कर चलना सिखाया
परिस्थितियों से लड़ना सिखाया
आँचल में तेरे नाजों से पली
तेरे दम से ही है मेरी हँसी
संस्कारों का देकर खजाना
जीवन का हर पाठ सिखाया
मेरी आँखों से जो छलके आँसू
तो तू तड़पकर रो देती है
मुस्कुराहट पर मेरी लेती बलाएं
खुशियों से झोली भरती है
रख लेती दिल पर पत्थर
जब बेटी को विदा करती है
रखना सबकी खुशियों का ख्याल
सीख सदा यही तुमने दी
रख लेती दिल पर पत्थर
जब बेटी को विदा करती है
रखना सबकी खुशियों का ख्याल
सीख सदा यही तुमने दी
कोशिश मेरी सदा यही रहती
तेरे पदचिन्हों पर ही में चलूँ
जो संस्कार तूने मुझे दिए हैं
वही धरोहर बेटी को भी दूँ
जब भी कोई मुश्किल आती
तुम साया बनकर रही बचाती
माँ बनकर मैंने तुझको जाना
कितना करती माँ बलिदान यह माना
सदा रहूँगी तेरी ऋणी
तुझसे ही है यह ज़िंदगी
सदा रहूँगी तेरी ऋणी
तुझसे ही है यह ज़िंदगी
बस यही दुआ है उस रब से
तू ही माँ बने मेरी हर जनम में
झोली में तेरी रहें सदा खुशियां
बनी रहूँ मैं तेरी छोटी-सी गुड़िया
***अनुराधा चौहान***
बहुत ही आत्मीयता और स्नेहिल भावनाओं से भरी रचना प्रिय अनुराधा बहन | सच में माँ को क्या लिखे उसका उपकार तो अतुल्य और किसी भी अभिव्यक्ति से परे है | समस्त माओं को कोटि नमन | उन्ही पर सृष्टि के सृजन का दायित्व है | सुंदर और मर्म स्पर्शी के लिए हार्दिक शुभकामनायें |
ReplyDeleteसही कहा आपने माँ शब्द में पूरा संसार समाया है जितना भी लिखो कम पड़ जाता है।सहृदय आभार प्रिय रेणु बहन 🌹
Deleteबहुत सुन्दर अनुराधा जी.
ReplyDeleteमाँ से मिली ममता को बच्चों में बाँट कर उसके प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करती रहिए.
Delete
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर प्रस्तुति गहराई तक मन को छूती सहज कोमल भावनाएं।
ReplyDeleteअप्रतिम।
सहृदय आभार प्रिय सखी
Deleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण हृदयस्पर्शी रचना...
ReplyDeleteमातृदिवस की शुभकामनाएं।
हार्दिक आभार प्रिय सखी
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (11 -5 -2020 ) को " ईश्वर का साक्षात रूप है माँ " (चर्चा अंक-3699) पर भी होगी, आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
क्षमा चाहती हूँ आमंत्रण में मैंने दिनांक गलत लिख दिया हैं ,आज 12 -5 -2020 की प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत हैं। असुविधा के लिए खेद हैं।
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति अनु जी
ReplyDeleteजड़ों से ही सीख कर पल्लवों की परवरिश के हुनर को क्या खूब लिखा है अनु जी
ReplyDeleteबहुत प्यारी भावाभिव्यक्ति अनुराधा जी ।
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