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Monday, August 20, 2018

जीवन का सच

वो क्यों बोला
तू क्यों बोला
हम क्यों बोलें
बस जीवन नैया
भंवर में डोले
उसे क्या करना
तुझे क्या करना
हमें क्या करना
बस इसी में बीते
यह दिन रैना
वो क्यों आया
तू क्यों गया
हम क्यों जाएं
बस इन बातों से
आपस में टकराएं
इसने नहीं देखा
उसने नहीं देखा
हमने नहीं देखा
फिर भी खिच गई
बीच में लक्ष्मण रेखा
क्यों न हम भी करें
तुम भी करो
वो भी करें
आओ हम मिलकर
जीवन सार्थक करें
***अनुराधा चौहान***

20 comments:

  1. जबरदस्त फलसफा बयां किया सखी सरल सहज ।
    बहुत सुंदर।

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    1. बहुत बहुत आभार कुसुम जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए 🙏

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  2. अनुराधा दी, सरलता से जीवन जीने की प्रेरणा देती सुंदर रचना!

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    1. शुक्रिया ज्योती जी

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  3. धन्यवाद अमित जी

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  4. वाह !!!
    सत्य दिखाती बहुत सार्थक रचना 👌👌👌

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    1. धन्यवाद नीतू जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए

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  5. इसने नहीं देखा
    उसने नहीं देखा
    हमने नहीं देखा
    फिर भी खिच गई
    बीच में लक्ष्मण रेखा...

    बहुत ही सार्थक। तीक्ष्ण कटाक्ष। अहम की पराकाष्ठा को आइना दिखाती अद्भुत रचना। नमन

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    1. धन्यवाद आदरणीय अमित जी

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  6. सुंदर कविता अंत का संदेश भी उत्तम हैं

    तुम भी करो
    वो भी करें
    आओ हम मिलकर
    जीवन सार्थक करें

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    1. धन्यवाद आदरणीय आपको ईद मुबारक हो

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  7. नमस्ते,
    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 23 अगस्त 2018 को प्रकाशनार्थ 1133 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय मेरी रचना को साझा करने के लिए

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  8. वाह और बस वाह। कम शब्दों में बड़ी बात कह दी आपने ।

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  9. वाह अनुराधा जी ! इस बहस-मुबाहिसे, टोका-टाकी पर अगर रोक लग गयी तो फिर जन-प्रतिनिधि सभाएं और हमारे जन-नायकों की सभाएं तो अपनी रौनक ही खो देंगी. वैसे नेताओं को छोड़ कर हम आम लोगों के लिए आपका सन्देश बड़े काम का है.

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय आपने सार्थक प्रतिक्रिया देकर मुझे उत्साहित किया है 🙏

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  10. वाह्ह्ह...बेहद उम्दा भाव...सरल शब्दों से लिखा गया गूढ़ मनोभाव...सुंदर रचना अनुराधा जी।

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