वो क्यों बोला
तू क्यों बोला
हम क्यों बोलें
बस जीवन नैया
भंवर में डोले
उसे क्या करना
तुझे क्या करना
हमें क्या करना
बस इसी में बीते
यह दिन रैना
वो क्यों आया
तू क्यों गया
हम क्यों जाएं
बस इन बातों से
आपस में टकराएं
इसने नहीं देखा
उसने नहीं देखा
हमने नहीं देखा
फिर भी खिच गई
बीच में लक्ष्मण रेखा
क्यों न हम भी करें
तुम भी करो
वो भी करें
आओ हम मिलकर
जीवन सार्थक करें
***अनुराधा चौहान***
तू क्यों बोला
हम क्यों बोलें
बस जीवन नैया
भंवर में डोले
उसे क्या करना
तुझे क्या करना
हमें क्या करना
बस इसी में बीते
यह दिन रैना
वो क्यों आया
तू क्यों गया
हम क्यों जाएं
बस इन बातों से
आपस में टकराएं
इसने नहीं देखा
उसने नहीं देखा
हमने नहीं देखा
फिर भी खिच गई
बीच में लक्ष्मण रेखा
क्यों न हम भी करें
तुम भी करो
वो भी करें
आओ हम मिलकर
जीवन सार्थक करें
***अनुराधा चौहान***
बहुत खूबसूरत
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय 🙏
Deleteजबरदस्त फलसफा बयां किया सखी सरल सहज ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
बहुत बहुत आभार कुसुम जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए 🙏
Deleteअनुराधा दी, सरलता से जीवन जीने की प्रेरणा देती सुंदर रचना!
ReplyDeleteशुक्रिया ज्योती जी
Deleteधन्यवाद अमित जी
ReplyDeleteवाह !!!
ReplyDeleteसत्य दिखाती बहुत सार्थक रचना 👌👌👌
धन्यवाद नीतू जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए
Deleteइसने नहीं देखा
ReplyDeleteउसने नहीं देखा
हमने नहीं देखा
फिर भी खिच गई
बीच में लक्ष्मण रेखा...
बहुत ही सार्थक। तीक्ष्ण कटाक्ष। अहम की पराकाष्ठा को आइना दिखाती अद्भुत रचना। नमन
धन्यवाद आदरणीय अमित जी
Deleteसुंदर कविता अंत का संदेश भी उत्तम हैं
ReplyDeleteतुम भी करो
वो भी करें
आओ हम मिलकर
जीवन सार्थक करें
धन्यवाद आदरणीय आपको ईद मुबारक हो
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 23 अगस्त 2018 को प्रकाशनार्थ 1133 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
बहुत बहुत आभार आदरणीय मेरी रचना को साझा करने के लिए
Deleteवाह और बस वाह। कम शब्दों में बड़ी बात कह दी आपने ।
ReplyDeleteवाह अनुराधा जी ! इस बहस-मुबाहिसे, टोका-टाकी पर अगर रोक लग गयी तो फिर जन-प्रतिनिधि सभाएं और हमारे जन-नायकों की सभाएं तो अपनी रौनक ही खो देंगी. वैसे नेताओं को छोड़ कर हम आम लोगों के लिए आपका सन्देश बड़े काम का है.
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय आपने सार्थक प्रतिक्रिया देकर मुझे उत्साहित किया है 🙏
Deleteवाह्ह्ह...बेहद उम्दा भाव...सरल शब्दों से लिखा गया गूढ़ मनोभाव...सुंदर रचना अनुराधा जी।
ReplyDeleteधन्यवाद श्वेता जी
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