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Thursday, August 16, 2018

वो सदा अटल थे


जिंदगी की धूप छांव में
हरदम वो अटल खड़े थे
मौत से ठान युद्ध
वो अटल जिए थे
न हार कभी मानी थी
न हार कभी मानेंगे
जिंदगी में हरदम
उनके अटल इरादे थे
काल के कपाल पर
गीत नए लिखते थे
साथ सभी के सुख-दुख में
कदम मिलाकर चलते थे
विशाल उनका हृदय था
जलाया आंधियों में दिया था
ऐसे महान व्यक्तित्व को
हरदम उन्होंने जिया था
बोलते थे वो सदा
मौत की उम्र है क्या
मैं जी भर जिया
मैं मन से मरूं
मैं लौटकर फिर आऊंगा
कूच से फिर क्यों डरूं
देख के तूफान की तेवरी तन गई
एक बार फिर उनकी
मौत से थी ठन गई
हारी भले ही जिंदगी की
आज उन्होंने जंग है
पर अपने अटल इरादों से
वो हमारे दिल में अजर अमर है
पूर्व प्रधानमंत्री, महान कवि श्री अटल बिहारी वाजपेई को समर्पित यह कविता
***अनुराधा चौहान***

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