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Friday, August 10, 2018

काश...

काश ....
कोई जरिया होता
तो हम भी खत लिखके
उस दुनिया में भेज देते
जहाँ तुम जा बैठे हो
काश....
एक बार फिर तुमसे
कर पाते कुछ बातें
क्यों बीच भँवर में
साथ छोड़ा
लिखते उन्हें वे सारी बातें
कुछ अपनी लिखते
कुछ उनकी पढ़ते
कर लेते उस दुनिया की
 ढ़ेर सारी बातें
जहाँ वो चले गए
हमारी नजरों से दूर
खत के जरिए
बताते उन्हें अपने
दिल का हाल
बताते तुम बिन
राखी सूनी है
सावन भी फीका है
माँ का आंगन सूना है
पिता कुछ कहते नहीं
पर आँखों के किनारे
नम रहते हैं
छुप-छुपकर के
आँखों से आँसू हरदम बहते हैं
काश..
उस जहां में खत लिखकर
भेज पाते
***अनुराधा चौहान***


17 comments:

  1. र्मम स्पर्श करती रचना सजह प्रवाहता मे भी कूट कूट कर दर्द भरा है सखी ।
    सस्नेह।

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  2. हृदयस्पर्शी रचना ।

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  3. विरह में डूबे मन की मर्मस्पर्शी पाती !!!!!!!!शब्द शब्द दर्द झलकाती !!!!!!!!!!

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    1. बहुत बहुत आभार रेणू जी

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  4. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद दी

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  5. काश ... हृदयस्पर्शी रचना

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद जी

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  6. बहुत ही सुंदर रचना।

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  7. वाहः
    बहुत ही उम्दा

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    1. धन्यवाद आदरणीय लोकेश जी

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  8. आहा ....काश ...वाह सुन्दर रचना

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद रेवा जी

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  9. ण्‍क काश और इतनी वेदना...वाह बहुत ही खूबसूरत रचना

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    Replies
    1. धन्यवाद अलकनंदा जी

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